- पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रवाद को बताया वैचारिक जहर
- दुनिया के कई समाज 'दो महामारियों- धार्मिकता और उग्र राष्ट्रवाद के शिकार' हो गए हैं -अंसारी
- दशकों पहले रबींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रवाद को एक बड़ी बुराई बताया था- अंसारी
चंडीगढ़: पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक ऐसा बयान दिया है जिस पर विवाद पैदा हो सकता है। चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद एक ऐसा ‘वैचारिक जहर’ है, जो वैयक्तिक अधिकारों का हनन करने से नहीं हिचकिचाता। अंसारी ने कहा कि आज राष्ट्रवाद और देशभक्ति के बीच भ्रम देखने को मिल रहा है लेकिन लेकिन इसके मायने और विषय वस्तु बिल्कुल अलग-अलग हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई समाज "दो महामारियों के शिकार" हो गए हैं - धार्मिकता और उग्र राष्ट्रवाद - जो उनके व्यवहार को प्रभावित करते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के दर्शन "शांति, सद्भाव और मानवीय खुशी फैलाने" के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'धार्मिक आस्थाओं के अनुयायियों ने अपने धर्म की शिक्षाओं का स्वरूप बिगाड़ दिया और धर्म को कमजोर या भ्रष्ट किया। सेंटर फॉर रिसर्च इन रूरल एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित, दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न होगा।
अंसारी ने कहा कि गुरु नानक, जिनकी 550 वीं जयंती मनाई जा रही है, वह सभी इंसानों के बीच भाईचारे की वकालत करने के साथ-साथ दलितों के उद्धार की वकालत की थी। उन्होंने आज की शब्दावली में उपयोग में लाये जाने वाले ‘अंतर-धार्मिक संवाद’ की हिमायत की थी। दशकों पहले रबींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रवाद को एक बड़ी बुराई बताया था। वह खुद 'राष्ट्र की पूजा’ की खिलाफ करते थे। दूसरी तरफ‘देशभक्ति’ सैन्य रूप से और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है।
हामिद अंसारी ने कहा कि यह उत्कृष्ट भावनाओं को प्रेरित करती है लेकिन जब यह सिर चढ़ कर बोलेगी तो ऐसी स्थिति में यह उन मूल्यों को कुचल डालेगी, जिसकी रक्षा देश करना चाहता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद और देशप्रेम के बीच में भ्रम की ऐसी स्थिति पैदा हो रही है कि यदि इसे और बढ़ावा दिया गया तो इसके परिणाम विस्फोटक होंगे। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि यह (राष्ट्रवाद) एक 'वैचारिक जहर' है जो व्यैक्तिक अधिकारों का हनन करने से भी नहीं कतराता है।