लाइव टीवी

'मेरी खोपड़ी को छूते हुए निकल गई गोली', कमांडो ने बताया गढ़चिरौली में क्या हुआ था 

Updated Nov 16, 2021 | 12:21 IST

Gadchiroli encounter : गढ़चिरौली मुठभेड़ में नक्सलियों का सामना करने वालों में सी 60 के कमांडो रवींद्र नैताम भी हैं। नैताम साल 2006 के बाद नक्सिलयों के खिलाफ चले अभियानों में शामिल रहे हैं।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspANI
शनिवार को गढ़चिरौली में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़।
मुख्य बातें
  • महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में शनिवार को नक्सलियों के साथ हुई भीषण मुठभेड़
  • इस मुठभेड़ में 26 नक्सली मारे गए, समिति का सदस्मिय तेलतुम्बडे भी मारा गया
  • ऑपरेशन में शामिल कमांडो का कहना है कि एक गोली उसके सिर को छूते हुए निकली

नागपुर : महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में गत शनिवार को नक्सलियों के साथ सुरक्षाबलों की भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 26 नक्सली मारे गए। यह मुठभेड़ कितनी भयावह एवं मुश्किल थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ऑपरेशन 10 घंटे से ज्यादा समय तक चला। इस मुठभेड़ में नक्सलियों का सामना करने वालों में सी 60 के कमांडो रवींद्र नैताम भी हैं। नैताम साल 2006 के बाद नक्सिलयों के खिलाफ चले अभियानों में शामिल रहे हैं। इन अभियानों में 75 नक्सलियों का सफाया हुआ है। इस बार मुठभेड़ में नैताम बाल-बाल बचे हैं। 

कमांडो के सिर को छूते हुए निकली गोली

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक नैताम का कहना है कि महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ की सीमा पर जारी मुठभेड़ के दौरान एक नक्सलियों की एक गोली उनकी खोपड़ी को छूते हुए निकल गई। इस मुठभेड़ में कमांडो नैताम घायल हुए हैं और इस समय उनका इलाज नागपुर के एक अस्पताल में चल रहा है। उनका कहना है कि नक्सलियों की एक गोली उनकी खोपड़ी को छूते हुए निकली, इसके बाद उनके सिर से खून निकलने लगा। सिर से होने वाले खून के इस रिसाव को रोकने के लिए उन्होंने अपने सिर पर तौलिया बांध लिया। नैताम का कहना है कि करीब 10 घंटे तक वह दर्द को झेलते रहे इसके बाद उन तक प्राथमिक उपचार पहुंचा। 

एक कमांडो के टखने में गंभीर चोट लगी

कमांडो ने आगे बताया कि मुठभेड़ के दौरान उनके साथी सर्वेश्वर अतराम को उनके दाहिने टखने में गंभीर चोट लगी। दरअसल, वह करीब 10 फीट गहरे गड्ढे में गिर गए जिसकी वजह से उनका टखना वहां नीचे पत्थर से टकराया। अतराम भी कई नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल रह चुके हैं। अतराम जिन नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं उनमें 70 से 75 नक्सलियों को मारा गया है। 

'बात जब जीने और मरने की हो तो घाव याद नहीं रहता'

रिपोर्ट के मुताबिक घायल होने के बावजूद अतराम के हौसले में कोई कमी नहीं आई और वह जख्मी होते हुए भी सुबह सात बजे से शाम 3.30 बजे तक नक्सलियों से लोहा लेते रहे। कमांडो ने कहा, 'बात जब जीने और मरने की हो तो घाव याद नहीं रहता। मैं यदि जख्म के बारे में सोचूंगा तो मौत को टाल नहीं पाऊंगा।' घुटने पर लगी चोट का दर्द कम हो इसके लिए अतराम ने उस पर जेल लगाया था। 

नक्सलियों को लगा बड़ा धक्का

शनिवार को हुए इस मुठभेड़ को नक्सिलयों के खिलाफ सुरक्षाबलों की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इस मुठभेड़ में सेंट्रल कमेटी के सदस्य मिलिंद तेलतुम्बडे सहित 26 नक्सली मारे गए है। इस एनकाउंटर से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में नक्सलियों के आंदोलन को बड़ा धक्का पहुंचा है। नैताम ने आगे बताया, 'मैंने अपने साथियों को बताया कि मेरे सिर से खून बह रहा है, मेरे साथियों के पास एंटी-क्लाटिंग किट थी लेकिन वे फायरिंग करनी की वजह से इस स्थिति में नहीं थे कि वे किट को मुझ तक पहुंचा सकें। मैं ये कोशिश करता रहा है कि मेरे सिर से ज्यादा खून नहीं निकले।'  

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।