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गोवा के सरपंचों की PM मोदी से गुहार, हमारी रोजी-रोटी को बचाएं 

अमित कुमार | DEPUTY NEWS EDITOR
Updated Dec 07, 2021 | 15:01 IST

Goa's Mining issue : गोवा के माइनिंग क्षेत्र के 20 से ज्यादा सरपंचों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि गोवा में पांच लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी माइनिंग के भरोसे चल रही थी लेकिन 2018 से माइनिंग पूरी तरह से बंद कर दी गई।

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गोवा में खनन पर लगी रोक हटाने की मांग।
मुख्य बातें
  • पीएम मोदी के गोवा दौरे से पहले सरपंचों ने माइनिंग पर रोक हटाने की अपील की
  • माइनिंग क्षेत्र के 20 से ज्यादा सरपंचों ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी
  • गोवा में 300 से ज्यादा खदानों पर काम बंद है, 2018 से खनन पर लगी है रोक

19 दिसंबर को पीएम मोदी गोवा आ रहे हैं। ऐसे में गोवा के सरपंचों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोवा दौरे से पहले उनसे गुहार लगायी है कि गोवा में माइनिंग पर लगी रोक को हटाने का आदेश दें ताकि उनसे जुड़े परिवार की जिंदगी बचाई जाए। पिछले पांच साल से गोवा में बंद पड़ी आयरन ओर की खदानों से जुड़े लोगों ने ये अपील की है। गोवा मुक्ति दिवस के साठ साल पूरे होने के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पीएम मोदी शिरकत कर रहे हैं।

आजीविका का अधिकार भी संकट में-सरपंच

गोवा के माइनिंग क्षेत्र के 20 से ज्यादा सरपंचों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि गोवा में पांच लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी माइनिंग के भरोसे चल रही थी लेकिन 2018 से माइनिंग पूरी तरह से बंद कर दी गई। इससे संविधान के तहत नागरिकों को दिया गया आजीविका का अधिकार भी संकट में है। सरपंच नायक ने कहा कि गोवा ने ही 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर नामिनेट किया था। अब मोदी जी को माइनिंग चालू कर रिटर्न गिफ्ट देना चाहिए। 

सरपंचों ने अपनी मजबूरी एवं हालात का जिक्र किया

एक और सरपंच सिद्धार्थ देसाई का कहना है कि कोविड के कारण गोवा में टूरिज्म में भी कमी आई है और माइनिंग भी बंद है तो लोग कैसे जिएंगे। पीएम को लिखी चिट्ठी में सरपंचों ने कहा है कि हमने राज्य के सभी प्रतिनिधियों को कई बार अपनी मजबूरी और हालात के बारे में बताया है। सन 2018 से माइनिंग बंद होने के बाद से ही हम कई बार राज्य सरकार और माइनिंग से जुडें अन्य लोगों से लगातार बात कर रहे हैं ताकि माइनिंग चालू हो सके। हमें ये बताया गया है कि संसदीय और कानूनी दोनों तरीके से रास्ता निकाला जा सकता है। हमने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जी से भी इस बारे में पहल करने की अपील की है लेकिन अब हम हताश होने लगे हैं और कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। बस आप ही हमें इससे उबार सकते हैं। 

माइनिंग दोबारा चालू करने की अपील

चिठठी में ये भी लिखा है कि अगले साल गोवा के चुनाव होने वाले हैं और हम भी चाहते हैं कि आपकी पार्टी दोबारा सत्ता में आए लेकिन जब तक ये प्रक्रिया होगी तब तक गोवा के हम ग्रामीण और मजबूर 5 लाख लोगों की रोजी-रोटी का सवाल हल कर दें। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इस मामले से पूरी तरह अवगत हैं। हमारी आपसे फिर से अपील है कि यही सही समय है जब आप गोवा में समय से माइनिंग चालू करके लाखों लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं।

राज्य में साल 2018 से माइनिंग पर है रोक

गौरतलब है कि सन 2018 से ही तब की पर्रीकर सरकार ने गोवा में आयरन ओर की माइनिंग पर पूरी तरह बैन लगा रखा है। अब ये मामला कानूनी तौर पर भी सुप्रीम कोर्ट में फंसा है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि वो एक माइनिंग कारपोरेशन बनाकर 8 खदानों को चालू करना चाहते हैं लेकिन गोवा में 300 से ज्यादा खदानों का काम बंद है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि केवल 8 खदानों को चालू करने से रोजी-रोटी का सवाल नहीं सुलझेगा। इसके साथ ही अगर माइनिंग कारपोरेशन ने परमीशन दे भी दी तो कम से कम तीन साल का समय लगेगा। 

माइनिंग बंद होने से विकास कार्यों पर असर

गोवा में 40 ग्राम पंचायतें हैं जिनके जरिए ही स्थानीय प्रशासन चलाया जाता है। गोवा में स्थानीय मिनरल फंड के जरिए ही विकास का काम होता है लेकिन माइनिंग बंद होने के कारण विकास ठप हो गया है। इस बीच, आम आदमी पार्टी ने चुनावी नारा दिया है कि अगर वह सत्ता में आई तो छह महीने में माइनिंग चालू करा देगी लेकिन माइनिंग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले गोवा फाऊंडेशन के क्लाउड अलवारिस कहते हैं कि ये लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। गोवा में कम से कम दो साल के पहले माइनिंग शुरू नहीं हो सकती। माइनिंग गोवा में चुनावी मुददा भी बन रहा है। 

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