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शराब की बिक्री पर क्या कहती है सरकार की नई गाइडलाइन, मिली है छूट या जारी है रोक

Updated Apr 15, 2020 | 18:37 IST

Guideline on alchohal sale : लॉकडाउन के जारी रहने से राज्यों का जीएसटी कलेक्शन प्रभावित हुआ है। वाहनों की आवाजाही बंद होने से पेट्रोल और डीजल पर राज्यों को मिलने वाला शुल्क भी करीब-करीब बंद हो गया है।

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शराब की बिक्री पर प्रतिबंध जारी।
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन के दौरान सरकार ने शराब की बिक्री पर रोक लगाई है
  • 14 अप्रैल के बाद लोग सरकार की ओर से राहत की उम्मीद कर रहे थे
  • शराब की बिक्री पर अभी लोक जारी रहेगी, 3 मई तक है लॉकडाउन

नई दिल्ली : लॉकडाउन के पहले चरण की अवधि (14 अप्रैल) की समाप्ति के बाद शराब की बिक्री पर राहत की उम्मीद करने वाले लोगों को निराशा हाथ लगी है। केंद्र सरकार की तरफ से बुधवार को जारी दिशा-निर्देशों में शराब की बिक्री पर फिलहाल कोई राहत नहीं दी गई है। निर्देशों में अल्कोहल की बिक्री पर पूरी तरह से रोक जारी रहने की बात कही गई है। लोग 14 अप्रैल के बाद शराब की बिक्री पर लगी रोक हटने की उम्मीद कर रहे थे। 15 अप्रैल को शराब की बिक्री पर जानकारी पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन सर्च करते पाए गए। लोगों ने गूगल पर 'अल्कोहल सेल इन लॉकडाउन' की वर्ड सर्च किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक शराब, गुटखा, तंबाकू प्रतिबंध लागू रहेगा। इसके अलावा थूकने पर भी बैन लगा रहेगा।

शराब की बिक्री से राज्यों को मिलता है ज्यादा राजस्व
गत 11 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोविड-19 पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि इस बैठक के बाद कई राज्यों ने कहा कि वे अपने राज्यों में शराब की बिक्री पर लगी रोक हटाने के बारे में सोचेंगे। असम सहित कुछ राज्यों ने शराब की बिक्री पर लगी रोक हटाई भी है। राज्यों की दलील है कि अल्कोहल की बिक्री से उन्हें राजस्व की काफी प्राप्ति होती है। शराब उनके राजस्व आय का मुख्य जरिया है। शराब की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगने से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा रहा है। आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से उनके राजस्व में कमी आने लगी है।  

राज्यों की आमदनी घटी
लॉकडाउन के जारी रहने से राज्यों का जीएसटी कलेक्शन प्रभावित हुआ है। वाहनों की आवाजाही बंद होने से पेट्रोल और डीजल पर राज्यों को मिलने वाला शुल्क भी करीब-करीब बंद हो गया है। राजस्व में आमदनी होता न देख कई राज्यों ने अपने खर्चों में कटौती करने का फैसला किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले सप्ताह अपने सभी विभागों को कर्मचारियों का वेतन छोड़ सभी खर्चे बंद करने का निर्देश दिया। राज्यों का कहना है कि कुल राजस्व का 25 प्रतिशत हिस्सा उन्हें शराब की बिक्री से मिलता है। लॉकडाउन के बाद कई राज्य सरकारें आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं।

कंपनियों की ऑन लाइन बिक्री की पेशकश
लोगों की मांग को देखते हुए शराब का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने सरकार से अल्कोहल की बिक्री ऑन लाइन और ऑन कॉल करने की पेशकश की थी। लॉकडाउन के चलते अल्कोहल बनाने वाली कंपनियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर शराब के प्रतिबंध पर तरह-तरह के मीम्स बन रहे हैं। कंपनियों ने ऑनलाइन शराब की बिक्री उन जगहों के लिए की है जो क्षेत्र कोविड-19 के खतरे से मुक्त हैं और जहां सामग्रियों को पहुंचाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है।

शराब की दुकानें लूटने की घटनाएं हुईं
कुछ दिनों पहले असम सरकार ने अपने यहां शराब की बिक्री को मंजूरी दी। सोमवार को डिब्रूगढ़ में शराब की दुकान खुलते ही वहां लोगों की कतार लग गई। असम सरकार ने सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक शराब की बिक्री की मंजूरी दी है। इस बीच देश के कई हिस्सों में शराब की अवैध बिक्री और अल्कोहल की दुकानों को लूटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। हाल के वर्षों में भारत में शराब के सेवन की दर में तीव्र इजाफा देखने को मिला है। रिपोर्टों की मानें तो पिछले सात सालों में भारत में शराब के सेवन में 38 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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