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Gupkar Declaration: फारुक अब्दुल्ला बोले-हम एंटी नेशनल नहीं, क्या 370 की बहाली उनके लिए बड़ा मुद्दा ?

Updated Oct 24, 2020 | 19:28 IST

नजरबंदी से आजाद होने के बाद जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों के नेता के अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए अलख जगाए हुए हैं। इस संबंध में हाल ही में फारुक अब्दुल्ला के आवास पर भी बैठक हुई थी।

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मुख्य बातें
  • जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दल अनुच्छेद 370 की बहाली की कर रहे हैं मांग
  • महबूबा मुफ्ती 370 और तिरंगे पर पहले ही दे चुकी हैं विवादित बयान
  • फारुक अब्दुल्ला को 370 की बहाली पर चीन में नजर आती है उम्मीद

श्रीनगर। नजरबंदी से रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दल अनुच्छेद 370 की वापसी पर रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। गुपकार घोषणापत्र को किस तरह से अमलीजामा पहनाया जाए इसके लिए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास पर नेताओं की बैठक हुई।इस बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे। इससे पहले फारुक अब्दुल्ला के निवास पर बैठक में सभी शामिल दलों ने कहा कि लोकतंत्र में बदलाव नजर आता है, यह बात अलग है कि भारतीय संविधान की व्याख्या वो अलग अंदाज में कर रहे थे।  बड़ी बात यह है कि पीपल्स अलाएंस ने जम्मू-कश्मीर के झंडे को अपने सिंबल के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला किया है जिसके बारे में महबूबा मुफ्ती शुक्रवार को अपना विचार पेश कर रही थीं। 

'हम राष्ट्रविरोधी जमात नहीं'
बैठक के बाद क्षेत्रीय दलों की तरफ से साझा बयान जारी किया गया है। फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि  यह एक राष्ट्र-विरोधी जमात नहीं है, हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के अधिकारों को बहाल किया जाए। हमें धर्म के नाम पर विभाजित करने के प्रयास विफल होंगे। यह धार्मिक लड़ाई नहीं है, सज्जाद लोन ने बताया कि  फारूक अब्दुल्ला पीपल्स अलाएंस के अध्यक्ष और महबूबा मुफ्ती उपाध्यक्ष होंगी। एक महीने के भीतर एक दस्तावेज तैयार किया जाएगा जिसके माध्यम से हम उन झूठों के पीछे तथ्य प्रस्तुत करेंगे जो प्रचारित किए जा रहे हैं। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को श्रद्धांजलि होगी, जिनकी बदनामी हो रही है।


'जम्मू-कश्मीर की जनता से धोखा हुआ'
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की आवाम को धोखे में रखकर फैसला किया। आज भी राज्य की जनता खुद को बंधनों में जकड़ी हुई महसूस करती है। वो समझते हैं कि पांच अगस्त 2019 को जो फैसला लिया गया था वो न तो संविधान सम्मत और  ना ही विधि सम्मत था। एक दल ने अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए 1947 में यहां की जनता से जो वादा किया गया था उसे तोड़ दिया। 

महबूबा मुफ्ती के बयान की हुई थी आलोचना
पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वो तिरंगे को तब तक नहीं उठाएंगी जब तक जम्मू-कश्मीर के झंडे को मान सम्मान बहाल नहीं किया जाता है, एक तरह से वो केंद्र सरकार को खुले तौर पर धमकी दे रही थीं कि 370 की बहाली तो करनी ही होगी। यह बात अलग है कि उनके इस बयान पर बीजेपी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई। केंद्रीय मंत्री डॉ जीतेंद्र सिंह ने कहा कि कभी कभी तो जम्मू-कश्मीर के तथाकथित दल चिन्हित अलगाववादी नेताओं से ज्यादा खतरनाक नजर आते हैं।सत्ता में रहते वक्त उनका सुर कुछ और होता है, जबकि सत्ता से बेदखल होने के बाद पाकिस्तान का गान करने लगते हैं। 

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