वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के एक सेवादार ने दावा किया है कि हिंदू पक्ष द्वारा 'शिवलिंग' कहे जाने वाली वस्तु सीमेंट से बनी है न कि पत्थर की। ज्ञानवापी परिसर क्षेत्र के रहने वाले इम्तियाज अहमद पिछले 40 साल से मस्जिद में सेवादार होने का दावा करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अन्य सेवादारों के साथ कई बार वुजूखाना की सफाई की है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष द्वारा वुजूखाना में जिसे 'शिवलिंग' कहा जाता है, वह वास्तव में सीमेंट से बना है, न कि पत्थर से।
इम्तियाज ने यह भी कहा कि वर्षों से काई जमा होने के कारण 'फव्वारा' काला हो गया है, क्योंकि यह पानी में डूबा हुआ है। उन्होंने दावा किया कि मस्जिद की दीवारों पर पाए गए हिंदू प्रतीकों को हाल के वर्षों में कुछ शरारती तत्वों द्वारा बनाया गया है। उन्होंने कहा कि वे मूल मस्जिद डिजाइन का हिस्सा नहीं हैं। इम्तियाज ने आगे कहा कि उन्होंने फव्वारे का काम देखा है और यह एक दशक पहले ही खराब हो गया था।
मस्जिद कमेटी के महासचिव एसएम यासीन ने भी टाइम्स नाउ नवभारत से कहा कि बाद में किसी से कुरेदा गया है। जब ये बैरिकेडिंग नहीं थी, हर कोई जा सकता था तो हो सकता है कि कोई जानबूझकर कुरेदते रहे हों। आप वहां जाकर देखिए कहीं बोतल है, कही मिट्टी के बर्तन हैं। इस तरह लोग फेंकते रहते हैं। टूटी-फूटी मूर्तियां भी फेंकी जाती थीं। वहां भोला नाम का आदमी आता था तो रंगाई पुताई का काम करता था, वो अक्सर कुरेदता था। यहां तक कि उसने एक जगह श्री राम लिख दिया। इसके बाद उसे हटाया गया।
असदुद्दीन ओवैसी ने दोहराया- वीडियो सच भी है तो ज्ञानवापी मस्जिद थी, है और रहेगी