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धाकड़ EXCLUSIVE: ज्ञानवापी आज मस्जिद, कभी मंदिर था? देखिए, श्रृंगार गौरी की पूजा

Updated May 10, 2022 | 22:30 IST

Shringar Gauri Puja Varanasi Video:वाराणसी में श्रृंगार गौरी की आराधना साल में सिर्फ एक दिन ही हो पाती है वो इसलिए क्योंकि श्रृंगार गौरी तक पहुंचने के लिए विशेष इजाजत की जरूरत होती है।

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श्रृंगार गौरी मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ही मौजूद है

नई दिल्ली: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 10 मई की सुनवाई कंप्लीट हो गई है, अब इस मामले में 11 मई यानी बुधवार को फिर सेशंस कोर्ट में सुनवाई होगी। वाराणसी सेंशन कोर्ट से मुस्लिम पक्ष ने एक हफ्ते का समय मांगा है, हिंदू पक्ष की आपत्ति पर जवाब के लिए अंजुमन इंतजामिया ने  वक्त मांगा है। 6 मई को जब सर्वे करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद एक टीम पहुंची तो बहुत हंगामा हुआ, टीम को ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जाने नहीं दिया गया। सर्वे टीम ज्ञानवापी मस्जिद के बेहद करीब श्रंगार गौरी के मंदिर तक जाना चाहती थी, वीडियोग्राफी करना चाहती थी लेकिन ऐसा हो ना सका। 

इसलिए आज हम आपको श्रंगार गौरी के मंदिर तक लेकर चलते हैं, हम आपको दिखाएंगे की श्रंगार गौरी मंदिर कैसा है और कहां स्थित है, पूजा का विधि-विधान क्या है क्योंकि  कोई भी बिना इजाजत श्रंगार गौरी मंदिर नहीं जा सकता, हम आपको कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी दिखाएंगे जो श्रंगार गौरी मंदिर से जुड़े हुए हैं।

ज्ञानवापी के तहखाने की EXCLUSIVE तस्वीर जो आज तक आपने देखी नहीं होगी

दरअसल वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की चहारदीवारी के बिलकुल करीब एक चबूतरा है और इसी चबूतरे में श्रृंगार गौरी की आकृति उभरी है जिनकी पूजा की जाती है यहां तक जाने की इजाजत पुलिस-प्रशासन अब श्रद्धालुओं को नहीं देता हां साल में एक बार इजाजत मिलती है।

श्रंगार गौरी की पूजा EXCLUSIVE-

श्रंगार गौरी के ऐतिहासिक सबूत
बिना इजाजत नहीं जा सकते श्रंगार गौरी
श्रंगार गौरी कभी मंदिर हुआ करता था
श्रंगार गौरी की ऐतिहासिक तस्वीर देखिए
ज्ञानवापी आज मस्जिद, कभी मंदिर था?
श्रंगार गौरी की पूजा मंदिर होने का सबूत 

श्रृंगार गौरी की चर्चा इन दिनों बुलंद है चर्चा की वजह है एक विवाद

ये है नौ गौरी में से एक श्रृंगार गौरी, श्रृंगार गौरी की चर्चा इन दिनों बुलंद है चर्चा की वजह है एक विवाद और इसी पूजा से जुड़ा है ये विवाद शहर है वाराणसी और विवाद श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच है, विवाद को विस्तार से समझाने से पहले हम आपको श्रृंगार गौरी में हो रही इस पूजा पाठ और उसकी आध्यात्मिक मान्यता के बारे में बता देते हैं।

श्रृंगार गौरी की पूजा चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को बड़े विधि विधान से की जाती है

श्रृंगार गौरी की पूजा चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को बड़े विधि विधान से की जाती है जैसा कि आप TIMES NOW नवभारत को मिले इस EXCLUSIVE वीडियो में सकते हैं, ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी श्रृंगार गौरी की आराधना का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं श्रृंगार गौरी को सिंदूर चढ़ाती हैं, श्रृंगार और सौंदर्य की देवी श्रृंगार देवी की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सबसे बड़ी बात ये कि श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए कोई मंदिर नहीं है।

श्रृंगार गौरी मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ही मौजूद है

सबूतों की भरमार है दिक्कत इस बात की है कि श्रद्धालुओं को पुलिस प्रशासन इजाजत नहीं देता और सर्वे टीम को लोग नहीं जाने देते चार दिन पहले 6 मई को अदालत के आदेश के बाद सर्वे टीम ज्ञानवापी मस्जिद के पास श्रृंगार गौरी तक वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए जाना चाहती थी लेकिन नाकामी ही हाथ लगी। दरअसल कोर्ट में पांच महिलाओं ने एक याचिका दाखिल की जिसमें कोर्ट से ऋंगार गौरी मंदिर में रोज पूजा करने की अनुमति मांगी। कोर्ट से अनुमति की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि श्रृंगार गौरी मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ही मौजूद है और मस्जिद की दीवार से सटा हुआ है कोर्ट ने सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दे दिया एक कोर्ट कमिश्‍नर भी नियुक्त कर दिया लेकिन सर्वे हो न सका।

श्रृंगार गौरी से जुड़े कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य भी आपको दिखाते हैं ये तस्वीरें वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार राम प्रसाद सिंह के पास हैं जिनका दावा है कि वो खुद कम से कम 4 बार ज्ञानवापी के तहखाने तक जा चुके हैं खुद अपनी आंखों से वहां हिंदू मंदिर के सबूत देख चुके हैं।

वहीं ज्ञानवापी की 1990 के दशक में ली गई तस्वीरें आईं सामने, दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं के स्ट्रक्चर दिखे, Times now नवभारत के पास Exclusive तस्वीरें हैं।

वाराणसी- ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा अहम सबूत-

तहखाने के साथ पूरे परिसर की फोटो मौजूद
ज्ञानवापी के तहखाने के साथ पूरे परिसर की फोटो
दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओं के स्ट्रक्चर
1990 के दशक में ली गईं फोटो सामने आईं
मस्जिद की दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओं के स्ट्रक्चर
वरिष्ठ पत्रकार राम प्रसाद सिंह ने ली थीं तस्वीरें

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