- लद्दाख की ऊंची चोटियों पर सेना के अभियान के लिए तैयार हैं हल्के हेलिकॉप्टर
- स्वदेश निर्मित हैं ये हेलिकॉप्टर, हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स ने किया है इनका निर्माण
- सर्दी के मौसम मेंअग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए आपूर्ति ले जाएंगे ये हेलिकॉप्टर
नई दिल्ली : सीमा पर चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) पहले से मुस्तैद है। वायु सेना की सामरिक क्षमता को स्वेदेश निर्मित हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL)के हेलिकॉप्टर भी बढ़ा रहे हैं। लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों पर वायु सेना के अभियान में एचएएल के दो हेलिकॉप्टर बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। एचएएल के चेयरमैन आर माधवन ने इकोनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि सियाचिन ग्लेशियर में आपूर्ति पहुंचाने में एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है। लद्दाख में इस हेलिकॉप्टर का उपयोग सेना और वायु सेना दोनों कर रहे हैं। एचएएल का मानना है कि सर्दी के मौसम में सैनिकों एवं हथियारों को ले जाने में ये हेलिकॉप्टर और अधिक उपयोगी होंगे।
एचएएल के चेयरमैन ने कहा-अभियान के लिए तैयार हैं ये हेलिकॉप्टर
माधवन ने कहा, 'सेना और वायु सेना दोनों ऊंचाई वाली जगहों पर अपने अभियानों में एएलएच का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन हेलिकॉप्टरों के जरिए हथियार एवं अन्य उपकरण उन ऊंचाई वाले स्थानों पर ले जाया जा सकता है जहां अन्य हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकते। लद्दाख सेक्टर में इस तरह के 20 से ज्यादा हेलिकॉप्टर सेना की मदद कर रहे हैं।'
लद्दाख में एएलएच का प्रदर्शन शानदार
उन्होंने बताया कि लद्दाख में एएलएच का प्रदर्शन शानदार है। सभी हेलिकॉप्टर सेवाएं दे रहे हैं, किसी में भी अब तक कोई तकनीकी खराबी नजर नहीं आई है। माधवन ने कहा कि सर्दी का मौसम आते ही लद्दाख में तापमान शून्य के नीचे चला जाएगा। ऐसे मौसम में पेलोड ले जाने में एएलएच और भी कारगर साबित होने जा रहे हैं। एएलएच के अलावा एचएएल ने लद्दाख में सशस्त्र सेनाओं को दो लाइट कम्बैट हेलिकॉप्टर (एलसीएच) की आपूर्ति की है। ये एलसीएच भी अभियान के लिए तैयार अवस्था में हैं। एचएएल चेयरमैन ने बताया कि सेना की तरफ से अभी एलसीएच की मांग नहीं की गई है फिर भी एचएएल ने अपने इन दो हेलिकॉप्टरों को वहां भेजा है। वहां एलसीएच के प्रदर्शन की सराहना हुई है।
ऊंची पहाड़ियों एवं दुर्गम इलाके में कारगर होगा एलसीएच
वायु सेना ने अपने अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे को लद्दाख में तैनात किया है फिर भी एलसीएच दुर्गम एवं ऊंचाई वाली चोटियों पर ज्यादा कारगर साबित हो सकता है क्योंकि इसका निर्माण ऊंची जगहों पर ऑपरेशन चलाने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने कहा, 'कारगिल युद्ध के समय इस तरह के हेलिकॉप्टर की कमी महसूस की गई। इसके बाद ऊंची पहाड़ियों पर अभियान को ध्यान में रखकर एलसीएच का निर्माण शुरू किया गया। इस हेलिकॉप्टर को रडार पर पकड़ पाना मुश्किल है। इन हेलिकॉप्टर में पॉड्स लगे हैं जो कि अपने साथ मिसाइल और रॉकेट ले जा सकते हैं।'
अभियान के लिए एलयूसी भी तैयार
माधवन ने बताया कि एचएएल की तरफ से एक और हेलिकॉप्टर लाइट यूटिलिटी चॉपर (एलयूसी) विकसित किया गया है। इसने भी लद्दाख में अपने परीक्षण किया है। एलयूसी आने वाले दिनों में चीता सीरीज के हेलिकॉप्टरों की जगह लेगा। चीता हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल रसद पहुंचाने, आपात स्थितियों में लोगों को निकालने सहित अलग-अलग तरह के अभियानों में होता आया है। उन्होंने कहा, 'हमने एलयूएच का ऊंचे स्थानों पर टेस्ट किया है। यह परीक्षण दो से तीन सप्ताह पहले पूरा हुआ है। इस हेलिकॉप्टर ने पिछले साल वायु सेना में अपनी उपयोगिता साबित की अब सेना ने भी इस पर मुहर लगा दी है।'
सर्दी के मौसम में और कारगर साबित होंगे ये हेलिकॉप्टर
आने वाले कुछ दिनों में लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारी बर्फबारी शुरू हो जाएगी। ऐसे मौसम में अग्रिम मोर्चों पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए सड़क मार्ग से रसद एवं जरूरी सामान पहुंचाना एक चुनौती होगी। ऐसे में इन कार्यों के लिए एचएएल के इन हेलिकॉप्टरों की भूमिका काफी अहम हो जाएगी।