- हंदवाड़ा में मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे कर्नल आशुतोष शर्मा
- कर्नल शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर थे
- कर्नल शर्मा ने 1 मई को आखिरी बार परिवार से की थी बात
नई दिल्ली: जयपुर: जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा का पार्थिव शरीर सोमवार शाम को जयपुर जयपुर स्थित उनके घर लाया जाएगा। वहीं, कर्नल शर्मा का अंतिम संस्कार मंगलवार को 61 कैवलरी ग्राउंड में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। शनिवार देर रात आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए जिसमें एक कर्नल शर्मा भी शामिल थे। वह कश्मीर में कई सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रह चुके थे।
'आखिर बार 1 मई को कर्नल शर्मा से हुई'
कर्नल शर्मा के परिवार में पत्नी पल्लवी शर्मा और 12 वर्षीय बेटी तमन्ना हैं। कर्नल शर्मा की पत्नी और बेटी वैशाली नगर में रंगोली गार्डन सोसाइटी में रहती हैं, वहीं उनका बाकी परिवार और मां जयपुर के जयसिंहपुरा में रहती हैं। अपने पति को याद करते हुए पल्लवी ने कहा, 'मैंने आखिर बार 1 मई को कर्नल शर्मा से बात की थी। इसके बाद वह ऑपरेशन के लिए चले गए। मेरी उनकी अंतिम बार मुलाकात 28 फरवरी को उधमपुर में हुई थी। उसके बाद से हम दोनों ने हमेशा फोन पर बात की।'
पल्लवी ने कहा, 'मैं एक गौरवान्वित पत्नी हूं। मेरे पति ने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने जिंदगी कुर्बान कर दी। उनकी शहादत पर आंसू नहीं बहाएंगे। देश के लिए कुर्बान होना बड़े सम्मान की बात है।' पल्लवी शर्मा ने कहा कि हर किसी को अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'ऐसा नहीं है कि हर कोई सिर्फ सेना में शामिल होकर ही देश की सेवा कर सकता है। हर किसी को एक अच्छा इंसान और एक जिम्मेदार नागरिक होना चाहिए। सभी को अपना काम जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।'
'मैं उस बातचीत को खत्म नहीं करता'
एक मई को हुई बातचीत को याद करते हुए कर्नल शर्मा के बड़े भाई पीयूष ने कहा कि उस दिन राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच कैसे इसे मनाया। मैं उसे कई बार समझाता था और उसका एक ही रटा रटाया जवाब होता था- मुझे कुछ नहीं होगा भइया। पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कर्नल शर्मा ने कुछ तस्वीरें भेजी थीं और अब परिवार के पास यही उनकी आखिरी यादें हैं। पीयूष ने कहा, 'अगर मैं यह जानता कि यह उससे हो रही मेरी आखिरी बातचीत थी तो मैं कभी उस बातचीत को खत्म नहीं करता।'