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कांग्रेस को मिली संजीवनी

Updated Oct 24, 2019 | 21:58 IST

Haryana, Maharashtra Assembly Elections 2019 result: हरियाणा, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 रिजल्ट ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को बड़ी राहत दी है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
Sonia Gandhi

लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत से लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में वापस लौटे। एनडीए को 350 सीटें मिली जबकि बीजेपी ने 303 सीटों पर कब्जा किया। इस साल मई महीने में एनडीए और बीजेपी ने अपने 2014 लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को और बेहतर करते हुए 2019 में सत्ता में वापसी की। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत देश भर के तमाम छोटे-बड़े राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल धारासायी हो गए। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हार के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए और पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष विहीन रही। आखिरकार पार्टी की कमान एक बार फिर पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी गई।

लोकसभा चुनाव 2019 से करीब पांच महीने बाद पहली बार 21 अक्टूबर को दो राज्य हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए। 24 अक्टूबर को जनादेश सामने आया। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 40 सीटें, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10 और अन्य के खाते 09 सीटें गईं। वहीं  288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 159 (103+56) सीटें मिली जबकि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को 105 (44+54) सीटें मिली।

बेशक महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन अपने बूते सरकार बनाने में एक बार फिर कामयाब हो गई। हरियाणा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन जरूरी बहुतम से पांच सीट दूर है। वह हरियाणा में निर्दलीय की मदद से सरकार बना सकती है। कांग्रेस हरियाणा में तभी सरकार बनाने में सक्षम हो पाएगी जब उसे जेजेपी के 10 और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल होगा लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि कुछ स्वतंत्र विधायकों ने सरकार बनाने में बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है।

विधानसभा चुनावों की तारीख के ऐलान होने के बाद बीजेपी कमर कसकर चुनाव मैदान में उतर चुकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं ने दोनों प्रदेशों में जमकर रैलियां कीं। खूब प्रचार प्रसार हुए। चुनाव प्रचार देखकर ऐसा लग रहा था कि इस चुनाव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने पहले ही हार मान ली है क्योंकि उनके नेता सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे थे। राहुल गांधी भी विदेश चले गए थे। सोनिया गांधी भी शायद स्वास्थ्य कारणों से उतनी सक्रिय नहीं दिख रही थीं। प्रचार का समय काफी बीत जाने के बाद कांग्रेस के नेता सक्रिय हुए। हरियाणा में सीट बंटवारे को लेकर भी पार्टी के भीतर भी कलह देखने को मिला। प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। 

उधर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना गठबंधन 288 में से 240 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहा था और हरियाणा में बीजेपी 90 में से 75 सीटें जीतने का दावा ठोक रही थी। लेकिन दोनों प्रदेश में बीजेपी ने अपने 2014 के प्रदर्शन (महाराष्ट्र में बीजेपी-122, शिवसेना-63), (हरियाणा में बीजेपी-47) को नहीं  दोहरा पाई। वहीं कांग्रेस हरियाणा के इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 2014 के 15 सीटों को बढ़ाकर 31 तक लाई जबकि महाराष्ट्र में पिछले चुनाव के मुकाबले उस दो सीटों का फायदा हुआ और 44 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी को 13 सीटों का फायदा हुआ और शरद पवार की पार्टी ने 54 सीटों पर कब्जा किया। शिवसेना को 7 और बीजेपी को 19 सीटों का नुकासान हुआ।

सत्ता में वापसी नहीं होने के बावजूद भी कांग्रेस-एनसीपी ने राहत की सांस ली। इस चुनाव परिणाम से हताश-निराश कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को संजीवनी मिली है। उन्हें अब लगने लगा है कि मोदी लहर के बावजदू उनपर जनता भरोसा करती है। इतना ही नहीं दूसरे विपक्षी पार्टियों ने भी राहत की सांस भरी होगी। अगले साल दिल्ली और बिहार मे चुनाव होने वाले हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी सुकून मिला होगा। उधर बिहार में महागठबंधन के नेताओं को लगा होगा हम विधानसभा चुनाव में बेहतर कर सकते हैं।

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