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'कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर है Sputnik V', रूसी टीका निर्माता कंपनी का बड़ा बयान

Updated Jun 23, 2021 | 08:30 IST

Sputnik V टीके का निर्माण करने वाले गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमिलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा है कि यह टीका कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
रूसी टीका निर्माता कंपनी का बड़ा बयान।
मुख्य बातें
  • स्पूतनिक-V टीके का निर्माण करने वाली कंपनी ने बड़ा बयान दिया है
  • कंपनी का कहना है कि उसका टीका कोरोना के सभी रूपों पर कारगर है
  • भारत में कुछ चुनिंदा अस्पतालों में लगाई जा रही है स्पूतनिक-V वैक्सीन

नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण से लोगों को सुरक्षित करने के लिए देश में इस समय तीन टीकों को लगाया जा रहा है। भारत बायोटेक के टीके कोवाक्सिन, सीरम की वैक्सीन कोविशील्ड और रूस के टीके स्पूतनिक-V को मंजूरी मिली है। इस बीच रूसी टीके का निर्माण करने वाली गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमिलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा है कि स्पूतनिक-V कोविड-19 के सभी ज्ञात वैरिएंट्स के खिलाफ काम करती है। कोवाक्सिन और कोविशील्ड के बाद भारत सरकार ने स्पूतनिक-V टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है। 

देश के चुनिंदा अस्पतालों में लगाई जा रही है Sputnik V
दो खुराक वाली यह रूसी वैक्सीन देश के चुनिंदा अस्पतालों में लोगों को लगाई जा रही है। सरकार ने इसकी कीमत प्रति खुराक 1,145 रुपए तय की है। अलेक्जेंडर ने मंगलवार को अपने एक बयान में कहा, 'स्पूतनिक-V लगाए जाने के बाद शरीर में विकसित एंटीबॉडी कोविड-19 के जितने भी ज्ञात वैरिएंट हैं, उनके खिलाफ सुरक्षा दे रहा है। यह वैक्सीन यूके वैरिएंट एवं भारत में पहली बार पाए गए डेल्डा वैरिएंट सभी के खिलाफ कारगर है।'

लगातार अपना रूप बदल रहा है कोरोना वायरस
ब्रिटेन में पाए गए कोरोना के स्ट्रेन बी.1.1.7 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अल्फा वैरिएंट नाम दिया है। यह वैरिएंट पहली बार पिछले साल ब्रिटेन के केंट में मिला। यह स्ट्रेन अब तक 23 बार अपना स्वरूप बदल चुका है। ब्रिटेन और अमेरिका में इस वैरिएंट के ज्यादा केस मिले हैं। वहीं, कोरोना का स्ट्रेन बी.1.617.2 (डेल्टा) पहली बार भारत में पिछले साल अक्टूबर में पाया गया। डेल्टा वैरिएंट काफी संक्रामक है। भारत में महामारी की दूसरी लहर के लिए इसी वैरिएंट को जिम्मेदार बताया गया है। इस वैरिएंट ने अपना रूप बदल लिया है। अब इसे डेल्टा प्लस नाम से जाना जा रहा है। भारत के तीन राज्यों में डेल्टा प्लस के केस मिले हैं और इसे भी काफी संक्रामक माना जा रहा है।      

कंपनी ने बूस्टर डोज का दिया है सुझाव
भारत में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने और वैक्सीन उत्पादन की गति बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को हडपसर में अपनी लाइसेंस प्राप्त सुविधा पर परीक्षण और विश्लेषण के लिए स्पूतनिक-V के निर्माण की अनुमति दी है। स्पूतनिक-5 का निर्माण करने वाली कंपनी ने अन्य बूस्टर डोज के रूप में अपने टीके को लगाने की सलाह दी है। 

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