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Gyanvapi case hearing: वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी मामले की आज फिर सुनवाई, मुस्लिम पक्ष रखेगा दलीलें

Updated Jul 04, 2022 | 07:36 IST

Gyanvapi case hearing today: गत 30 मई को मुस्लिम पक्ष के वकील अभयान नाथ यादव ने अपने पक्ष में करीब दो घंटे तक दलीलें दीं। जिला जज एके विश्वेश ने उनकी दलीलों को सुना और फिर मामले की सुनवाई चार जुलाई के लिए स्थगित कर दी। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
वाराणसी की जिला अदालत में गत 30 मई को हुई थी सुनवाई।
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मामले की वाराणसी जिला अदालत में हो रही है सुनवाई
  • गत 30 मई को मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पूरी नहीं कर पाया था, इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाली
  • मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दायर अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है

Gyanvapi Masjid case hearing : वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की आज फिर सुनवाई शुरू होगी। पांच हिंदू महिलाओं ने श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा शुरू करने की मांग की है। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाले अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने हिंदू महिलाओं की अर्जियों का विरोध किया है। अर्जियों पर सुनवाई की जा सकती है या नहीं, कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगा। गत 30 मई को मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पूरी नहीं कर पाया था जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई चार जुलाई तक टाल दिया। 

यह मामला सुनवाई करने योग्य है-विष्णु जैन
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का कहना है कि आज मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रखेगा। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह केस सुनवाई योग्य नहीं है लेकिन हमने कहा है कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है। वहां पूजा करने का अधिकार मांगना पूरी तरह से वैधानिक है।  

हिंदू पक्ष की मांग का विरोध कर रहा है मुस्लिम पक्ष
गत 30 मई को मुस्लिम पक्ष के वकील अभयान नाथ यादव ने अपने पक्ष में करीब दो घंटे तक दलीलें दीं। जिला जज एके विश्वेश ने उनकी दलीलों को सुना और फिर मामले की सुनवाई चार जुलाई के लिए स्थगित कर दी। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के दूसरे वकील अखलाक अहमद ने कोर्ट से कहा कि पांच हिंदू महिलाओं ने व्यक्तिगत रूप से अर्जी दाखिल की है और वे पूरे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। मुस्लिम पक्ष की दलील यह भी है कि इस मामले की सुनवाई इसलिए नहीं हो सकती क्योंकि यह केस विशेष उपासना स्थल कानून, 1991 के तहत आता है। यह कानून 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल में किसी तरह के बदलाव का इजाजत नहीं देता।

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सुप्रीम कोर्ट में भी हुई सुनवाई
पांच महिलाओं की अर्जी पर सुनवाई करते हुए वाराणसी की निचली अदालत ने मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी के आदेश दिए थे। हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में 'शिवलिंग' मिला है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह आकृति 'शिवलिंग' नहीं बल्कि फव्वारा है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी के सभी मामलों को जिला अदालत के पास भेज दिया।  
 

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