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उम्मीद है कि किसान अपने आंदोलन पर माओवादियों का असर नहीं होने देंगे, पीयूष गोयल का बड़ा बयान

Updated Dec 12, 2020 | 21:57 IST

कृषि कानून पर केंद्र सरकार के साथ किसानों का गतिरोध बरकरार है। इस बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि किसानों के हाथ से आंदोलन निकल चुका है।

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किसानों के आंदोलन पर माओवादियों का असर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल बोले
मुख्य बातें
  • कृषि कानून के खिलाफ किसान पिछले 17 दिन से आंदोलन पर हैं
  • किसान संगठनों की सिर्फ एक मांग कृषि कानून को केंद्र सरकार वापस ले
  • केंद्र सरकार को शक किसानों के आंदोलन को अल्ट्रा लेफ्ट सगंठनों ने हाइजैक कर लिया है।

नई दिल्ली। पिछले 17 दिन से किसानों का जत्था कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डटा हुआ है। केंद्र सरकार के साथ पांच दौर की बातचीत हुई लेकिन नतीजा सिफर रहा। पांचवें दौर की बातचीत के बाद केंद्र सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव किसानों को भेजा। लेकिन किसानों ने संशोधनों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और छठवें दौर की बातचीत में साझेदार बनने से इंकार कर दिया। उसके बाद टिकरी बॉर्डर पर किसानों की सभा से कुछ दूर शर्जिल इमाम और उमर खालिद के पोस्टर नजर आए और उसके बाद सरकार की तरफ से बयान आया कि किसानों का आंदोलन भटक चुका है। अब इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बड़ा बयान दिया है। 

बातचीत के लिए दरवाजे 24 घंटे खुले हैं
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि  किसानों के साथ चर्चा करने के लिए केंद्र 24 घंटे तैयार है। अगर विरोध को माओवादियों और नक्सलियों से मुक्त किया जाता है, तो हमारे किसान निश्चित रूप से समझेंगे कि कानून उनके और देश के हित में हैं इसके बाद भी अगर उन्हें कोई संदेह है, तो हम बातचीत के लिए खुले हैं।

अधिकांश किसान, कृषि कानून के साथ 
पीयूष गोयल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अधिकांश किसान कानूनों के साथ खड़े हैं, उनमें से कुछ के पास कुछ आरक्षण थे जो बातचीत के माध्यम से हल किए गए थे। एक बिंदु डालने के बाद तालिका छोड़ने से कोई हल कभी नहीं निकलता है, जिससे पता चलता है कि शायद आंदोलन उनके हाथ से निकल गया है। सरकार का स्पष्ट मत है कि अगर किसी बिंदु पर असहमति है तो वो अपनी बात रखें। अड़ियल रुख किसी के लिए अच्छा नहीं हो सकता है। 

भारत के किसानों पर भरोसा लेकिन...
हम भारत के किसानों पर पूरी तरह भरोसा करते हैं, वे शांतिप्रिय हैं और वे हमारे 'अन्नदाता' हैं। हम उनका सम्मान करते हैं और हमें विश्वास है कि वे देश भर में माओवादी और नक्सल ताकतों को प्रभावित नहीं होने देंगे। सरकार का स्पष्ट मत है कि किसी भी विषय पर संवाद के रास्ते से भटकाव सही नहीं है। जब केंद्र किसानों के साथ बातचीत कर रही है तो टकराव का रास्ता अपनाना सही नहीं होगा। 


भारत तेज चलेगा और तेज चलेगा

लोग समझते हैं कि पीएम मोदी जी नए और आत्मनिर्भर भारत के लिए काम कर रहे हैं, किसानों की आय दोगुनी करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए 18 दलों की कोशिश के बाद भी भारत बंद सफल नहीं रहा ।'भारत चलेगा, भारत और तेज चलेगा और दौड़ेगा।

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