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Howdy Modi: अमेरिका की धरती पर सबसे बड़ी रैली!, दिखेगी मोदी-ट्रंप की जुगलबंदी

Updated Sep 16, 2019 | 14:09 IST

Howdy Modi rally in Houston : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर के अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' रैली को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में करीब 50 हजार लोगों के जुटने की उम्मीद है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
ह्यूस्टन शहर में 22 सितंबर को होगी मेगा रैली।
मुख्य बातें
  • अमेरिका के टेक्सास के हर ह्यूस्टन में 22 सितंबर को होगी मेगा रैली
  • 'हाउडी मोदी' रैली में 50 हजार के करीब लोगों के जुटने की उम्मीद
  • नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी रहेंगे मौजूद

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' (Howdy Modi )रैली को संबोधित करेंगे। इस रैली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शरीक होंगे। ह्वाइट हाउस ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस रैली में हिस्सा लेने की पुष्टि कर दी है। बताया जा रहा है कि इस रैली में करीब 50 हजार लोग शामिल होंगे। इतिहास में यह पहली बार होगा जब इतनी बड़ी रैली में दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के दो सबसे बड़े नेता शामिल होंगे। यही नहीं, अमेरिका में किसी दूसरे देश के नेता के सम्मान में इतनी बड़ी रैली का आयोजन अब तक नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के महाधिवेशन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी अगले सप्ताह अमेरिकी दौरे पर जाएंगे।

इस आयोजन के बारे में ह्वाइट हाउस ने कहा, 'उम्मीद है कि 'हाउडी मोदी! शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर्स' कार्यक्रम में हजारों लोट जुटेंगे। यह अमेरिका एवं भारत के लोगों के बीच मजबूत संबंधों को प्रदर्शित करने और दुनिया के सबसे पुराने एवं सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और पुष्ट करने का अवसर होगा। इसके जरिए दोनों देश अपने कारोबारी रिश्तों को और मजबूत बनाएंगे।' ह्वाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि टेक्सास में 'हाउडी मोदी' रैली के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ओहियो के वपोकोनेटा जाएंगे। यहां वह ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन के साथ एक उत्पादन संयंत्र का दौरा करेंगे। समझा जाता है कि इन कार्यक्रमों में शरीक होकर ट्रंप भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी अहम साझेदारियों को रेखांकित करेंगे।

अमेरिका में पीएम मोदी की इस तरह की यह तीसरी रैली है। साल 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वैयर गॉर्डन्स और 2017 में सिलिकॉन वैली में प्रधानमंत्री मोदी बड़ी रैलियां और प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि ह्यूस्टन में अमेरिकी धरती पर किसी विदेशी नेता की यह अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी। इस कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि एनआरजी स्टेडियम की क्षमता 50 हजार लोगों की है और इसके टिकट पहले ही बिक चुके हैं।

वास्तव में, अमेरिका के इतिहास में इतनी बड़ी राजनीतिक रैली का उदाहरण पाना मुश्किल है। यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी अमेरिका में इतनी बड़ी रैली को संबोधित नहीं किया। अमेरिका में इस तरह की लोगों की बड़ी तादाद रैलियों में नहीं बल्कि सुपरबाउल जैसे खेलों के आयोजनों में देखने को मिलती है। आयोजकों का कहना है कि अमेरिका के चौथे सबसे बड़े शहर में इतनी बड़ी भीड़ को संभालना उनके लिए मुश्किल काम नहीं है। ह्यूस्टन और इसके आस-पास के शहर में 15 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं। समझा जाता है कि पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों से लोग हवाई एवं सड़क मार्ग से यहां पहुंचेंगे।

अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्ष श्रृंगला का कहना है, 'क्षेत्र में तनाव के समय इस रैली का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के करीबी रिश्ते को दर्शाना है। 'हाउडी मोडी' कार्यक्रम ऐतिहासिक और बेजोड़ है। यह कार्यक्रम केवल पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच रिश्तों की निकटता एवं सहजता को ही नहीं बल्कि उनकी मित्रता एवं व्यक्तिगत संबंधों को भी प्रदर्शित करता है।' इस शहर में पीएम मोदी की मौजूदगी के अन्य कारण भी हैं। ह्यूस्टन अमेरिका का ऊर्जा का गढ़ है। भारत बड़े पैमाने पर तेल एवं गैस ह्यूस्टन से आयात कर रहा है। खाड़ी देशों में तनाव के और बढ़ने पर भारत यहां से गैस एवं तेल की अपनी अतिरिक्त जरूरतों को पूरा कर सकता है। 

इस 'हाउडी मोडी' रैली के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। समझा जाता है कि राष्ट्रपति ट्रंप की नजर भारतीय समुदाय पर है। वह भारतीय समुदाय में पीएम मोदी की लोकप्रियता को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं। हालांकि, टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ रहा है। यहां 1976 से रिपब्लिकन पार्टी जीत दर्ज करती आई है लेकिन हाल के वर्षों में डेमोक्रेट्स लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं। ऐसे में ट्रंप कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते। वहीं, भारतीय पक्ष खुद को किसी एक के साथ पूरी तरह से दिखने से बचना चाहता है। इस रैली में कई डेमोक्रेट्स सांसदों के पहुंचने की भी उम्मीद जताई जा रही है। 

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