नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपना 'कश्मीर राग' छोड़ नहीं पा रहे हैं। पांच अगस्त के बाद उन्होंने अपनी सभी रैलियों एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने के लिए किया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटे पांच महीने से ज्यादा का समय बीत गया है और घाटी में जनजीवन पटरी पर लौट आया है लेकिन इमरान खान की घड़ी की सूई वहीं रुकी हुई है। वह इससे आगे बढ़कर सोच नहीं पा रहे हैं। इमरान ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपना पुराना राग एक बार फिर अलापा है।
जिओ टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अपने कब्जे वाले आजाद कश्मीर के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि मोदी ने पांच अगस्त को जो फैसला किया उससे कश्मीर आजाद होगा। पांच अगस्त से पहले कश्मीर में जो कुछ हो रहा था, उस तरफ दुनिया का ध्यान नहीं जा पा रहा था लेकिन अब दुनिया का ध्यान इस तरफ गया है।' उन्होंने कहा, 'कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करना मोदी सरकार का एक 'घातक' कदम है। इस गलती को अब सुधारा नहीं जा सकता।'
'मोदी ने पाक के खिलाफ प्रचार किया'
इमरान ने अपने संबोधन में कहा, 'पांच अगस्त को मोदी ने एक बड़ी गलती की। उन्होंने लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान के खिलाफ प्रचार किया था और पाकिस्तान के नाम पर उन्हें एक बड़ी जीत मिली। इस जीत के बाद उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने और अपनी हिंदुत्व की विचारधारा थोपने के लिए इस तरह का कदम उठाया। सत्ता में आने के बाद मोदी ने आरएसएस की विचारधारा को आगे बढ़ाया है। आरएसएस की विचारधारा हिटलर एवं नाजी से प्रभावित है। पांच अगस्त से पहले आरएसएस की विचारधारा छिपी हुई थी। पहली बार हमने आरएसएस की विचारधारा से संयुक्त राष्ट्र महासभा को अवगत कराया।'
भारत के कदम से पाक को लगा झटका
बता दें कि भारत सरकार ने गत पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के बारे में ऐतिहासिक फैसला किया। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करते हुए राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। कश्मीर पर भारत इतना बड़ा कदम उठा सकता है यह पाकिस्तान ने कभी सोचा नहीं था लेकिन मोदी सरकार के इस फैसले से उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने कश्मीर को आजाद कराने के जो सपने अपनी आवाम को दिखाए थे वे चकनाचूर हो गए।
कूटनीतिक मोर्चे पर असफल हुआ पाक
पाकिस्तान कश्मीर मसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों एवं संस्थाओं के पास गया। उसने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप भारत पर लगाया लेकिन उसकी दाल यहां नहीं गली। इसके बाद उसने चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया लेकिन दुनिया ने उसके आरोपों पर कोई ध्यान नहीं दिया। कश्मीर मसले पर उसकी बातों को खुद मुस्लिम देशों ने भी गंभीरता से नहीं लिया। कश्मीर पर सऊदी अरब और यूएई के रुख से उसे झटका लगा। हां, उसे तुर्की और मलेशिया जैसे देशों का साथ जरूर मिला लेकिन दुनिया उसके प्रोपगैंडा को समझ गई। कूटनीतिक मोर्चे पर नाकाम हुए पाकिस्तान ने युद्ध की धमकी देकर निकाली।
कश्मीरियों से मिली निराशा
पाकिस्तान के हुक्मरानों को लगा कि कश्मीर से कर्फ्यू एवं प्रतिबंधों के हटने पर वहां के लोग भारत सरकार के इस कदम के खिलाफ सड़कों पर आ जाएंगे और बगावत कर देंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कश्मीर की जनता पूरी तरह भारत सरकार के साथ खड़ी हो गई। इस दौरान घाटी में हालात बिगाड़ने एवं हिंसा फैलाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से नापाक कोशिशें की गईं लेकिन पहले से सतर्क और मुस्तैद सुरक्षाबलों ने उसके हर हथकंडे और प्रोपगैंडे को विफल कर दिया।