वाराणसी: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में बुधवार को हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं और दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता। हिंदू पक्ष के दलीलें रखने का सिलसिला बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगा।शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि हिन्दू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने दलीलें रखीं।
सिंह ने बताया कि हरिशंकर जैन ने अदालत में कहा कि इस मामले में वर्ष 1991 का उपासना स्थल अधिनियम किसी भी तरीके से लागू नहीं होता। हिंदू पक्ष के वकील ने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष जिस जमीन पर अपना दावा कर रहा है वह आदि विश्वेश्वर महादेव की है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि वहां पर जबरदस्ती नमाज पढ़ी जा रही है।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी दलील में यह भी कहा कि अगर मंदिर तोड़ भी दिया गया है, तब भी अदिविश्वेश्वर की पूजा की अनुमति दी जाय। सिंह ने बताया कि बुधवार को हिन्दू पक्ष ने लगभग दो घण्टे अपनी दलील अदालत के समक्ष रखी।
मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की हुईं थीं दलीलें
इससे पहले 12 जुलाई यानी मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की दलीलें को पूरी हो गईं गौर हो कि लगभग पिछले डेढ़ महीने से अदालत में ये मामला चल रहा है, ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की पूजा वाली याचिका को मुस्लिम पक्ष ने खारिज कर दिया। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में मुस्लिम पक्ष की दलीलें मंगलवार को पूरी हो गईं और हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें रखनी शुरू की थीं जिसका सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने पूर्व के कानूनों का हवाला देते हुए मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाया और अदालत से आग्रह किया कि वह इस मुकदमे को खारिज कर दे।
ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे हुआ था
गौरतलब है कि राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने के आग्रह के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी, जिसके आदेश पर पिछले मई महीने में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था।