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14 अगस्त को अलग देश बना पाकिस्तान, पगड़‍ियों तक का हुआ था बंटवारा, भारत से मिले थे इतने करोड़ रुपये

Updated Aug 14, 2020 | 06:00 IST

India Pakistan partition in hindi: भारत और पाकिस्‍तान के बीच 1947 में जब बंटवारा हुआ था तो दोनों देशों के बीच कई चीजें बंटीं। पाकिस्‍तान को 55 करोड़ रुपये दिए जाने के मुद्दे को लेकर खूब सुर्खियां रहीं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
14 अगस्त को अलग देश बना पाकिस्तान, पगड़‍ियों तक का हुआ था बंटवारा, भारत से मिले थे इतने करोड़ रुपये
मुख्य बातें
  • भारत को आजादी के जश्‍न के साथ विभाजन की त्रासदी भी झेलनी पड़ी
  • पाकिस्‍तान एक अलग देश के रूप में सामने आया, जिसके साथ बहुत कुछ बंटा
  • बताया जाता है कि बंटवारे की शर्तों के अनुसार, पाकिस्‍तान को 75 करोड़ रुपये दिया जाना तय हुआ था

नई दिल्ली : भारत 15 अगस्त, 1947 को जब अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तो एक अलग मुल्‍क के रूप में पाकिस्‍तान भी अस्तित्‍व में आया। विभाजन अपने साथ बड़ी त्रासदी लेकर आया था, जिसके साथ ही कई सवाल भी खड़े हुए थे। इन सवालों के स्‍पष्‍ट जवाब आज तक नहीं मिल पाए हैं। इन्‍हीं में पाकिस्‍तान को उसके निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपये दिए जाने की बात भी शामिल थी।

यह रकम वास्‍तव में कितनी थी, इसे लेकर हमेशा से विवाद रहा है। बताया जाता है कि भारत ने पहली किस्‍त के तौर पर पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपये दे दिए थे और बाकी 55 करोड़ रुपये रोक लिए थे। पाकिस्‍तान की तरफ से इसके लिए भारी दबाव बनाया जा रहा था और तब देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में दंगे भी भड़क चुके थे, जिन्‍हें राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी लगातार शांत कराने की कोशिश कर रहे थे।

महात्‍मा गांधी ने क्‍यों किया था अनशन?

महात्‍मा गांधी पाकिस्‍तान को यह रकम दिए जाने के पक्ष में थे, ताकि पड़ोसी मुल्‍क को विकास में आर्थिक मदद मिलने के साथ-साथ आपसी सौहार्द बरकरार रखा जा सके। उन्‍होंने इसके लिए भारत सरकार पर दबाव भी बनाया था, जिसके बाद सरकार इसके लिए तैयार भी हो गई थी। कहा यहां तक जाता है कि महात्‍मा गांधी ने पाकिस्‍तान को यह रकम नहीं देने पर अनशन की चेतावनी भी सरकार को दी थी।

हालांकि गांधी से जुड़े करीबी लोगों का कहना है कि दिल्‍ली में 13 जनवरी, 1948 को जब राष्‍ट्रपिता ने अपना अंतिम उपवास रखा था, वह इसलिए नहीं था कि महात्‍मा गांधी बंटवारे की शर्तों के अनुसार पाकिस्‍तान को 55 करोड़ रुपये दिए जाने के लिए दबाव बनाना चाहते थे। दरअसल, दिल्‍ली के एक इलाके में भी उस वक्‍त दंगे भड़क गए थे। यह वह दौर था जब सरहद पार से हिन्‍दू-सिख शरणार्थी दिल्‍ली आ रहे थे, जबकि बहुत से मुस्लिम पाकिस्तान जा रहे थे।

बापू से उपवास तोड़ने की अपील

दिल्‍ली के करोलबाग, पहाड़गंज, दरियागंज, महरौली में उस वक्‍त मारकाट मची हुई थी। गांधी जी ने इन दंगाग्रस्त क्षेत्रों का कई बार दौरा किया था, लेकिन दंगे शांत नहीं हुए थे। इसके बाद ही उन्‍होंने 13 जनवरी से उपवास पर जाने का फैसला लिया था। तब गांधी नोआखाली और कलकत्ता में दंगों को शांत करवाकर दिल्‍ली लौटे थे। एक बार फिर गांधी जी के अनशन के बारे में सुनकर तब जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल भी बिड़ला हाउस पहुंचे थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी उनसे मिलने पहुंच रहे थे। बापू से उपवास तोड़ने की अपील करते हुए सैकड़ों हिन्दू, मुसलमान और सिख भी वहां पहुंच रहे थे।

बताया जाता है कि दिल्‍ली में गांधी जी के उपवास का असर भी दिखने लगा और जब दिल्ली शांत हो गई तो बापू ने 18 जनवरी को अपना उपवास तोड़ दिया। दरअसल, बापू अपने उपवास के जरिये दंगाइयों पर नैतिक दबाव बनाना चाहते थे, जिसमें वे कामयाब भी रहे।

भारत-पाकिस्‍तान के बीच क्‍या-क्‍या बंटा था?

बहरहाल, सवाल उठता है कि आजादी की शर्तों के अनुरूप जब पाकिस्‍तान को 75 करोड़ रुपये दिए जाने थे तो भारत ने 55 करोड़ रुपये रोकने की बात क्‍यों कही थी? दरअसल इसकी वजह आजादी के तुरंत बाद कबायल‍ियों के भेष में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर हमले को माना जाता है। भारत सरकार ने यह कहते हुए शेष 55 करोड़ रुपये देने पर रोक लगा दी थी कि पहले कश्मीर समस्या का हल कर लिया जाए, ताकि इस राशि का इस्तेमाल भारतीय सेना और भारत के खिलाफ न हो।

कहा जाता है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच सरकारी टेबल, कुर्सियां, स्टेशनरी, यहां तक कि लाइटबल्ब, इंकपॉट्स, ब्लॉटिंग पेपर, सरकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों, रेलवे, सड़क वाहन की संपत्तियों, पगड़ी, लाठी तक का विभाजन हुआ था। विभाजन के दौरान पाकिस्तान को जहां अचल संपत्ति का 17.5 फीसदी हिस्सा मिला था, वहीं भारत के हिस्‍से 82.5 फीसदी आया था। इसमें मुद्रा, सिक्के, पोस्टल और रेवेन्यू स्टैंप्स, गोल्ड रिजर्व और आरबीआई की संपत्तियां शामिल थीं। चल संपत्ति का विभाजन भी भारत-पाकिस्‍तान के बीच क्रमश: 80 और 20 फीसदी के अनुपात में किया गया। 

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