लाइव टीवी

India China standoff: भारत- चीन बातचीत सार्थक नतीजे से दूर, विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान से संकेत

Updated Feb 06, 2021 | 15:43 IST

भारत चीन तनाव पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि पिछले 9 दौर की बातचीत होने के बाद भी कोई सार्थक नतीजा नजर नहीं आ रहा है।

Loading ...
डॉ एस जयशंकर, विदेश मंत्री
मुख्य बातें
  • भारत और चीन के बीच अब तक 9 दौर की हो चुकी है बातचीत
  • पिछले वर्ष गलवान हिंसा के बाद दोनों देशों में बढ़ गया था तनाव
  • चीन पर वादाखिलाफी और घुसपैठ का लगता रहता है आरोप

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने अब तक नौ राउंड की बैठकें की हैं, हालांकि कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई है जमीन पर देखा। सैन्य कमांडरों (भारत और चीन के) ने अब तक नौ दौर की बैठकें की हैं, हमारा मानना ​​है कि कुछ प्रगति हुई है, लेकिन यह अभी तक एक तरह की स्थिति में नहीं है जहां जमीन पर इसकी अभिव्यक्ति हो।" मंत्री ने विजयवाड़ा में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा।

जमीन पर क्या हो रहा है यह समझना जरूरी
जयशंकर ने कहा कि यह बहुत जटिल मुद्दा है क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि जमीन पर क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि आपको भूगोल जानना होगा (जैसे) कौन सी स्थिति और क्या हो रहा है, यह सैन्य कमांडरों द्वारा किया जा रहा है।पूर्वी लद्दाख में गतिरोध में बंद, चीन और भारत के उग्रवादियों ने आमने-सामने के समाधान के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की है, लेकिन अब तक कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया है।


चीन का रवैया सहयोग वाला नहीं
डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले साल गालवान घाटी में जो कुछ भी हुआ उसके बाद चीनी पक्ष की चुनौती को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया। "पिछले वर्षों की घटनाओं के बाद, हमने चुनौती को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है जो वहां चीनी सैनिकों की भीड़ से आया है। 

दलाईलामा और 1962 की लड़ाई
चीन के साथ सीमा विवाद के बीच वर्ष 1962 में भारत को उस युद्ध से भी गुजरना पड़ा, जिसके लिए वह न तो मनोवैज्ञानिक तौर पर न ही सामरिक तौर पर तैयार था। इस युद्ध में भारत की भले हार हुई, पर उसने चीनी दांव को अच्‍छी तरह समझ लिया था और अरुणाचल प्रदेश में लगातार अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्‍यान केंद्र‍ित किया। ऐसे में पूर्वी फ्रंट चीन के साथ सीमा विवाद में तिब्‍बत एक अहम मसला हो जाता है, जहां 1950 में चीनी सैनिकों ने हमला कर इसे अपने कब्‍जे में ले लिया था। उस वक्‍त दलाई लामा के साथ बड़ी संख्‍या में तिब्‍बतियों ने भारत में शरण ली थी।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।