लाइव टीवी

बड़ा फैसला! राफेल फाइटर डील में ऑफसेट वादों को पूरा करने में देरी पर सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी पर लगाया जुर्माना

Updated Dec 22, 2021 | 08:38 IST

भारत ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमानों की डील में ऑफसेट वादों को पूरा करने में देरी पर फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्‍ट एविएशन पर जुर्माना लगाया है। सरकार ने यह फैसला उस नई नीति के तहत लिया है, जिसमें ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करने पर विदेशी कंपनियों के खिलाफ सख्‍ती का प्रावधान है।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
बड़ा फैसला! राफेल फाइटर डील में ऑफसेट वादों को पूरा करने में देरी पर होगा जुर्माना
मुख्य बातें
  • भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 लड़ाकू विमानों के लिए डील की थी
  • यह डील 59 करोड़ रुपये में हुई थी, जिसमें ऑफसेट क्‍लॉज भी शामिल था
  • CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने ऑफसेट वादों को पूरा नहीं किया है

नई दिल्‍ली : भारत ने फ्रांस के साथ राफेल डील में ऑफसेट पॉलिसी के तहत वादे पूरे नहीं किए जाने पर जुर्माना लगाने का फैसला किया है। भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए डील सितंबर 2016 में हुई थी, जिसमें ऑफसेट पॉलिसी के तहत फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्‍ट एविएशन और MBDA को भारतीय रक्षा क्षेत्र में अनुबंध राशि का 30 फीसदी निवेश करने के लिए अनिवार्य किया गया था।

भारत और फ्रांस बीच राफेल डील सितंबर 2016 में हुई थी। यह डील लगभग 59 करोड़ रुपये की थी, जिसमें 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति भारत को की जानी थी। वहीं, इसमें ऑफसेट क्‍लॉज 50 फीसदी का था। लेकिन बीते साल सितंबर में भारत के महानियंत्रक व लेखा परीक्षक (CAG) ने संसद में रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि ऑफसेट पॉलिसी के तहत जो भी बातें तय हुई थीं, फ्रांसीसी कंपनी ने उस वादे को पूरा नहीं किया है।

CAG ने दी थी रिपोर्ट

रक्षा मंत्रालय ने ऑफसेट नीति विदेशी कंपनियों से 300 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा सौदों को लेकर बनाई थी। फ्रांस के साथ राफेल डील चूंकि लगभग 59 करोड़ रुपये का था, इसलिए इस पर यह नीति लागू होती है। रक्षा सौदों को लेकर ऑफसेट नीति के तहत उम्‍मीद की गई कि इससे टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर होगा, रक्षा क्षेत्र में प्रत्‍यक्ष विदेश निवेश (FDI) बढ़ेगा, जिससे अंतत: देश में घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन CAG के अनुसार, इन लक्ष्‍यों को हासिल नहीं किया जा सका।

CAG  की रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल की नहीं, 2015 से लेकर अब तक कई मामलों में इस नीति के तहत निर्धारित लक्ष्‍यों की पूर्ति नहीं की जा सकी है। इसमें समझौता पूरा नहीं होने पर विदेशी कंपनियों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी नहीं था, जिसके मद्देनजर अब ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किए जाने पर जुर्माना लगाने के सरकार के फैसले को बेहद अहम समझा जा रहा है। इसके तहत सरकार ऑफसेट वादों को पूरा नहीं करने पर विदेशी कंपनि‍यों के खिलाफ सख्‍त रवैया अपनाएगी।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।