लाइव टीवी

जिस ब्रिटिश अफसर ने किया था भारत के बंटवारे का ऐलान, शोक में 7 दिन तक क्‍यों झुका रहा था तिरंगा?

Updated Jun 03, 2021 | 06:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

3 जून 1947 को भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे का ऐलान किया था। आजाद भारत के वो पहले गवर्नर जनरल थे। उनके निधन पर भारत में सात दिन का राजकीय शोक रहा।

Loading ...
फाइल फोटो
मुख्य बातें
  • 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने किया भारत के बंटवारे का ऐलान
  • आजाद भारत के पहले जनरल गवर्नर रहे लॉर्ड माउंटबेटन
  • 1979 में उनकी हत्या कर दी गई, भारत ने सम्मान देते हुए राजकीय शोक घोषित किया

आज की तारीख यानी 3 जून को भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना दर्ज है। ये तारीख भारत के इतिहास और भूगोल को बदलने वाला दिन है। आजादी के वर्ष यानी 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को '3 जून योजना' या 'माउंटबेटन योजना' के तौर पर जाना जाता है। विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।

भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमारेखा लंदन के वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने तय की। हिंदू बहुमत वाले इलाके भारत में और मुस्लिम बहुमत वाले इलाके पाकिस्तान में शामिल किए गए। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। इस समय ब्रिटिश भारत में बहुत से राज्य थे जिनके राजाओं के साथ ब्रिटिश सरकार ने तरह-तरह के समझौते कर रखे थे। इन 565 राज्यों को आजादी दी गई कि वे चुनें कि वे भारत या पाकिस्तान किस में शामिल होना चाहेंगे। अधिकतर राज्यों ने बहुमत धर्म के आधार पर देश चुना।

79 साल की उम्र में हुआ निधन

माउंटबेटन भारत के आखिरी वायसरॉय (1947) थे और स्वतंत्र भारतीय संघ के पहले गवर्नर जनरल (1947-48) भी थे। उनका जन्म 25 जून 1900 में इंग्लैंड के विंड्सर में हुआ था। 27 अगस्त 1979 को 79 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) ने उनकी हत्या कर दी। उनके निधन पर भारत में भी शोक मना और 7 दिन के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को आधा झुका दिया गया। इनका पूरा नाम लुईस फ्रांसिस अल्बर्ट विक्टर निकोलस माउंटबेटन था।

भारत में मनाया गया शोक

कहा जाता है कि भारत के लोगों का उनके साथ लगाव था। वो 1948 में ब्रिटेन लौट गए, फिर भी भारत के कई लोग उन्हें चिट्ठियां लिखा करते थे। उनकी हत्या पर भारत के लोगों ने शोक मनाया। उनके पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ भी अच्छे संबंध थे। माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू फंड की स्थापना करने में मदद भी की थी। दोनों के संबंध ऐसे थे कि नेहरू ने उनसे भारत के गवर्नर जनरल के पद पर बने रहने का अनुरोध किया था। इसी के चलते जब उनका निधन हुआ तो भारत सरकार ने उनके सम्मान में 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की और तिरंगे को आधा झुका दिया। तब दुनिया की मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई थी।
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।