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भारत ने खारिज की अमेरिकी रिपोर्ट, धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर की गई है खिलाफ में टिप्पणी

Updated Apr 29, 2020 | 08:28 IST

USCIRF Report: अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने आरोप लगाया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं। हालांकि भारत ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

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CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान की एक तस्वीर

नई दिल्ली: भारत ने यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की उस वार्षिक रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें देश के खिलाफ टिप्पणियां की गई हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पैनल की गलत व्याख्या नए स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में चीजें नीचे की ओर जा रही हैं और भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'हम USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट में भारत पर की गईं टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। भारत के खिलाफ इसके ये पूर्वाग्रह वाले और पक्षपातपूर्ण बयान नए नहीं हैं। लेकिन इस अवसर पर इसकी गलत व्याख्या नए स्तर पर पहुंच गई है।'

यूएससीआईआरएफ ने विदेश विभाग से भारत समेत 14 देशों को 'खास चिंता वाले देशों' के रूप में नामित करने के लिए कहा है। इन देशों पर आरोप लगाया गया है कि यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया भी सूची में हैं।

CAA की भी आलोचना की
USCIRF ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट के 2020 संस्करण में आरोप लगाया कि 2019 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में 'अत्यधिक गिरावट का अनुभव' हुआ, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हमले बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार ने अपने मजबूत संसदीय बहुमत का उपयोग राष्ट्रीय स्तर की नीतियों का निर्माण करने के लिए किया, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए देश भर में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया। अमेरिकी पैनल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की भी आलोचना की, जिस पर देश में भी काफी बवाल मचा।

हिंसा को बढ़ने दिया गया
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया, 'राष्ट्रीय और विभिन्न राज्य सरकारों ने भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा के राष्ट्रव्यापी अभियानों को जारी रखने की अनुमति दी और उनके खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाषणों को सहन किया।'

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