- नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर अब कानूनी लड़ाई
- इंडियन यूनियन मुस्लिम ने दायर की याचिका, कांग्रेस कर रही है विचार
- विपक्षी दलों का आरोप कि इस बिल से देश के टूटने का खतरा
नई दिल्ली। बुधवार को राज्य सभा में गरमागरम बहस के बाद नागरिकता संशोधन बिल पर वोटिंग कराई गई। सभी कयासों पर उस वक्त विराम लग गया जब बिल के समर्थन में 124 का आंकड़ा सामने आया। विपक्ष की कोशिश नाकाम हो चुकी थी शायद इसका अहसार कांग्रेस को पहले से ही था, क्योंकि पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि यब बिल सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पाएगा। अब इस विषय पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
आईयूएमएल की तरफ से कांग्रेस के कपिल सिब्बल इस मुकदमे को लड़ रहे हैं।याचिका में अदालत से अपील की गई है वो नागरिकता संशोधन बिल को अवैध घोषित करे।
आईयूएमएल का कहना है कि इस बिल के जरिए देश को बांटने की कोशिश की जा रही है। यह देश के सेकुलर कैरेक्टर के खिलाफ है। इसी विषय पर संसद परिसर में कपिल सिब्बल से सवाल पूछा गया कि क्या पार्टी इस विषय पर अदालत का दावा खटखटाएगी तो उन्होंने इंकार नहीं किया। सदन के अंदर कांग्रेस के अलावा दूसरे विपक्षी दलों के साथ ऐतराज जताया गया। लेकिन गृहमंत्री अमित शाह मे एक एक कर जवाब भी दिया।
पी चिदंबरम ने जब कहा कि यह कानूनी तौर पर ठहर नहीं पाएगा तो इसके जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि क्या हम अदालत की वजह से कोई कानून नहीं बनाएंगे। जहां तक बिल को चुनौती देने का सवाल है कि कोई भी दल चुनौती दे सकता है, सरकार उससे डर नहीं रही है। जिस तरह से सरकार की तरफ से सदन में पक्ष रखा जा रहा है ठीक वैसे ही अदालत के सामने पक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सुनकर आश्चर्य हो रहा है कि अनुभवी लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं। क्या वो भूल चुके हैं कि सदन के पास सार्वभौम शक्ति है, कानून तो सदन को ही बनाना है, क्या हम किसी डर की वजह से अपना काम छोड़ देंगे।