गलवान संघर्ष के 2 साल बाद भारत को एलएसी पर लगातार बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है। 17 जुलाई को भारत और चीन के बीच हुई कोर कमांडर लेवल की बातचीत में डिसएंगेजमेंट को लेकर बड़ा फैसला किया गया, जिसके तहत 8 सितंबर यानि बृहस्पतिवार से गोगरा-हॉट स्प्रिंग यानि पेट्रोलिंग पॉइंट 15 से डिसएंगेजमेंट शुरू हो चुका है।
एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैये को भारत ने सेना की ऑपरेशनल तैयारी और अपनी रणनीतिक प्लानिंग से लगातार नियंत्रित किया है। इससे पहले 2021 में फरवरी में पैन्गौन्ग सो के दक्षिण किनारों से डिसएंगेजमेंट हो चुका है जबकि अगस्त 2021 में भी दूसरे चरण का डिसएंगेजमेंट किया जा चुका है। अब एक और फ्रिक्शन पॉइंट से भारत और चीन की सेना अपने डेप्लॉयमेंट को हटा रही है जो एक सकारात्मक संकेत है।
चीन-ताइवान तनाव के बीच एलएसी पर भारतीय कमांडरों का जमावड़ा, ड्रैगन से निपटने के लिए क्या है भारत की तैयारी?
भारत के लिए अगली चुनौती देपसांग प्लेन का इलाका है जहां लंबे समय से चीन अपने नियंत्रण का दावा करता आया है। उम्मीद की जा रही है कि 15 से डिसइंगेजमेंट के बाद एक बार फिर भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर आगे बढ़ेगा और भारत चीन को बचे हुए फ्रिक्शन पॉइंट से डिसइंगेजमेंट के लिए राजी करने की कोशिश करेगा। भारत और चीन के बीच इस तनाव को लेकर भारत स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी भी चुनौती के लिए तैयार है, लेकिन प्राथमिकता बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाने की है।
गौरतलब है कि भारत ने एलएसी के नजदीक न सिर्फ अपने सैनिक बल की संख्या को बढ़ाया है बल्कि अपने तमाम आधुनिक हथियार और उपकरण भी डिप्लोई किए हैं। इस इलाके में भारत ने चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को देखते हुए, सड़कों, पुलों और हेलीपैड्स का निर्माण भी किया है ।