- गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद चीन विरोधी भावनाएं जोरों पर हैं
- देश में चीन की निर्मित वस्तुओं का उपभोग नहीं को अभियान
- चीनी सामानों का बहिष्कार कर उसे आर्थिक रूप से सबक सिखाने की मांग
नई दिल्ली: गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद देश भर में चीन के खिलाफ गुस्से का माहौल है। देश अपने 20 जवानों की हत्या का बदला लेने की मांग कर रहा है। चीन के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए हैं। चीनी सामानों एवं उत्पादों के बहिष्कार के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। देश के भीतर और सीमा दोनों जगहों पर चीन विरोधी भावनाएं जोरों पर हैं। चीन को लेकर हर भारतीय के मन में गुस्सा और आक्रोश है। देश में चीन निर्मित वस्तुओं का उपभोग न करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। उसके सामानों का बहिष्कार कर उसे आर्थिक रूप से सबक सिखाने की मांग की जा रहा है।
यह काम आसान नहीं है तो मुश्किल भी नहीं है। इसके लिए भारतीयों को दृढ़ संकल्प करने की जरूरत है। चीन ने अपनी सामग्रियों से भारतीय बाजारों को पाट दिया है। दैनिक उपभोग में इस्तेमाल होने वाली उसकी सस्ते सामानों का विकल्प नहीं है। मांझा, दीपावली की झालरें, पिचकारी, रंग, तरह-तरह के खिलौने और घर को सुसज्जित रखने वाले सामग्रियां ये सभी चीजें घर-घर में मिलेंगी।
ताकि मिले जनभावनाओं का एक कड़ा संदेश
इन पर रोक या इन सामानों का बहिष्कार कर हम चीन को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान नहीं कर सकते। हां, जनभावनाओं का एक कड़ा संदेश उसे दिया जा सकता है। इसके लिए सभी को संकल्प लेना होगा कि हम चीन निर्मित वस्तुओं की खरीदारी नहीं करेंगे। इनकी जगह हमें भारत के बने स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर देना होगा। यह एक मुश्किल भरा फैसला हो सकता है लेकिन बात जब राष्ट्र हित की हो तो ये चीजें गौण हो जाती हैं।
भारत को दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाकर उसे सबक सिखाया जा सकता है। लेकिन यह इतना आसान काम नहीं है। भारत विश्व व्यापार संगठन के नियमों एवं शर्तों से बंधा है। ऐसे में अगर वह चीन से आयात कम करने के दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहता है तो उसे वैश्विक कारोबारी नियमों के दायरे में रहते हुए ऐसे उपाय करने होंगे जिससे नियमों का उल्लंघन न हो और चीन के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचे। इसके लिए एक दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी और उस पर लगातार काम करना होगा। उसके सामानों के विकल्प तलाशने होंगे। चीन से आयातित होने सामग्रियां ऐसी नहीं हैं कि उनका विकल्प न मिले। शुरू में थोड़ी परेशानी हो सकती है लेकिन इसका हल निकल सकता है।
चीन से भारत करता है कई चीजों का आयात
भारत बड़े पैमाने पर कच्चे तेल और हथियारों का आयात करता है लकिन ये दोनों चीजें चीन से आयात नहीं होती हैं। इसलिए गैर-जरूरी या कम महत्व की ऐसी वस्तुओं जो चीन से आयात की जाती हैं उसके लिए दूसरे देशों की तरफ देखा जा सकता है। चीन से आयातित होने वाली इन वस्तुओं को दूसरे देशों से मंगाने पर कीमत ज्यादा चुकानी पड़ सकती है लेकिन देश यदि चाहता है कि चीनी सामग्रियों का बहिष्कार हो तो सरकार को इस दिशा में जरूर आगे बढ़ना चाहिए।
भारत को चीनी सामानों की काट निकालनी होगी
चीन के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार है। उसने एक तरह से इस बाजार को हथिया लिया है। कोशिश यह होनी चाहिए कि इस बाजार पर भारत का नियंत्रण हो। चीनी वस्तुओं के बारे में आम धारणा है कि ये सस्ती हैं लेकिन टिकाऊ नहीं हैं। सस्ता होने की वजह से चीनी सामान दुनिया भर के बाजारों में अपनी पैठ आसानी से बना लेते हैं। भारत को इसकी काट निकालनी होगी। सरकार और भारतीय कारोबारियों को गंभीरता पूर्वक इस तरफ सोचना होगा।