- पालघर मॉब लिंचिंग में दो साधु और एक ड्राइवर की मौत
- इस मामले में 110 लोगों की गिरफ्तारी, नाबालिग भी शामिल
- जूना अखाड़े के साधु महाराष्ट्र से जा रहे थे गुजरात
नई दिल्ली। महाराष्ट्र से लॉकडाउन के बीच ऐसी खबर आई जिस पर पूरा देश सन्न है। लेकिन सवाल कई लोगों के लिए था हालांकि उसका जवाब अभी तक नहीं आया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कार्रवाई करते हुए 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की गई। गृहमंत्रालय की तरफ से महाराष्ट्र सरकार की तरफ से रिपोर्ट भी मांगी गई है। इन सबके बीच जूना अखाड़ा का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन सवाल कई हैं जिसके जवाब को तलाशने की जरूरत है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि तीन लोग अफवाह का शिकार हो गए जिसमें जूना अखाड़े के दो साधु थे और एक ड्राइवर था।
चोर होने के शक में साधुओं की गई जान !
पालघर के कलेक्टर का कहना है कि दो दिन पहले यह अफवाह फैली कि इलाके में दो चोर घूम रहे हैं। हुआ यूं कि जूना अखाड़े के दो साधू महाराष्ट्र से सूरत जा रहे थे। लेकिन वो अपने मंजिल पर पहुंचने से पहले एक ऐसी भीड़ का शिकार हो गए जिस पर सनक सवार था, भीड़ साधुओं की बात सुनने को तैयार नहीं था। इससे भी बड़ी बात यह है कि जिस समय इस वारदात को अंजाम दिया गया उस समय पुलिस की जीप भी वहां मौजूद थी। इससे संबंधित जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से सैंकड़ों की संख्या में लोग दो साधुओं को लाठियों से बेरहमी से पीटते रहे।
पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे हैं सवाल
कुछ लोग सवाल उठा रहे है कि जब मुख्य मार्ग की जगह साधु आंतरिक रास्तों का इस्तेमाल कर रहे थे तो पुलिस को किसने जानकारी दी। अगर किसी ने पुलिस को जानकारी दी तो साधुओं की पिटाई कब शुरू हुई। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, उससे पता चलता है कि पुलिस वालों के सामने ही बेरहमी से लोगों ने साधुओं को तब तक पीटा जब तक उनके जिस्म में जान बची रही। पुलिस वाले मूकदर्शक बने रहे और कुछ देर के बाद वो भाग खड़े हुए, हालांकि कुछ फुटेज में पुलिस वाले भी घायल नजर आ रहे हैं।
महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई
कुछ लोगों का कहना है कि जिस समय इस वारदात को अंजाम दिया गया वहां पुलिसकर्मी मौजूद थे। लेकिन वो बचाने के लिए आगे नहीं आए। भीड़ को वो समझाने की कोशिश करते रहे। पुलिसकर्मियों के पास हथियार भी थे। लेकिन उसका इस्तेमाल उन्होंने नहीं किया। अब इस विषय पर सियासत भी शुरू हो चुकी है। संत समाज का कहना है कि जिस उद्धव ठाकरे के पिता जीवन पर साधु और संतों की हिफाजत करते रहे उनके बेटे के राज में इस तरह की घटना हुई है। बता दें कि सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।