- कृषि कानूनों के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा जारी है
- सत्ता पक्ष की तरफ से खून की खेती के जरिए कांग्रेस पर कसा गया तंज
- दिग्विजय सिंह ने सत्ता पक्ष को गोधरा की दिलाई याद
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले 72 दिन से आंदोलन पर हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इन काले कानूनों को वापस ले। इसके साथ ही लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में इस विषय पर चर्चा हो रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विपक्ष जो कि बुनियादी तौर पर मुद्दा विहीन हो चुका है वो इन कानूनों के जरिए जमीन तलाश रहा है। इसके साथ तोमर ने यह भी कहा कि खून की खेती तो कांग्रेस करती हैं जहां तक वो समझते हैं खेती के लिए पानी का इस्तेमाल होता है। लेकिन इसके साथ ही राज्यसभा में दिलचस्प तर्क और वितर्क भी हुए।
राज्यसभा में गरमागरम बहस
नरेंद्र सिंह तोमर ने जब कहा कि हम तो पानी से खेती करते हैं तो इस सिलसिले में दिग्विजय सिंह ने कहा कि जो गोधरा में हुआ क्या वो पानी की खेती थी। सच तो यह है कि बीजेपी हमेशा से नफरत और हिंसा की राजनीति करती रही है। लेकिन कांग्रेस हमेशा से सत्य और अहिंसा के रास्ते का अनुसरण करते रहे हैं।इसके अलावा जब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आखिर सरकार किसे बेवकूफ बना रही है तो उस आरोप के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि बहस करने से पहले अच्छा होगा कि कानून पढ़ कर आएं।
किसान की बात करने वाला खालिस्तानी कैसे
बहस में शिरकत कर रहे शिवसेना ने सरकार से सवाल पूछा कि आखिर जो लोग किसानों के हित की बात करते हैं वो खालिस्तानी कैसे हो सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की आदत बन चुकी है कि जब कोई भी शख्स इनकी नीतियों के खिलाफ बात करता है, जनात के बीच जाता है तो उसे ये लोग षड़यंत्रकारी मान बैठते हैं। उनकी सरकार से अपील है कि इस तरह की मानसिकता से बाहर निकले।
देश में बह रही है उलटी गंगा
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज देश में उलटी गंगा बह रही है। विपक्ष के जिन राज्यों में कृषि और कृषि संबंधी उपकरणों पर टैक्स ज्यादा है आज वो किसानों के हित की बात कर रहे हैं, कृषि कानूनों के खिलाफ बात कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि विपक्ष के लोग सियासत करने के बजाय कोई और बेहतरीन विकल्प सुझाते।