- उप चुनावों में भाजपा के लिए हिमाचल प्रदेश और राजस्थान की हार, चिंता बढ़ाने वाली है।
- पश्चिम बंगाल में दिनहाटा सीट पर उदयन गुह ने सबसे बड़े मार्जिन से जीत हासिल की है।
- हिमाचल की मंडी सीट पर NOTA ने भी कमाल दिखाया है। जिसका सीधा नुकसान भाजपा को हुआ है।
नई दिल्ली: 13 राज्यों में हुए उप चुनाव के नतीजे आ गए हैं। इन चुनावों ने जहां हिमाचल और राजस्थान में भाजपा को झटका दिया है। वहीं चुनाव शिवराज सिंह चौहान, ममता बनर्जी, हिमंत बिस्वा, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार, अशोक गहलोत जैसे नेताओं के लिए खुशी का भी मौका लेकर आया है। कहने को तो यह उप चुनाव थे, लेकिन इसमें कई ऐसे रिकॉर्ड सामने आए हैं, जो भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेंगे।
अपने गृह क्षेत्र की सीट नहीं बचा पाएं मुख्यमंत्री
उप चुनाव में सबसे चौंकाने वाले परिणाम हिमाचल प्रदेश से आए। जहां भाजपा को न केवल मंडी लोकसभा सीट गंवानी पड़ी बल्कि तीनों विधान सभा सीटों पर भी हार का सामना करना पड़ा। खास बात यह रही की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह क्षेत्र होने के बावजूदा पार्टी को मंडी सीट हारनी पड़ी। यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल चंद ठाकुर को 7490 मतों से हरा दिया।
नोटा ने बिगाड़ा खेल
मंडी संसदीय क्षेत्र के परिणाम में नोटा का भी अहम रोल रहा है। इन चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को 49.14 फीसदी वोट मिले। जबकि भाजपा प्रत्याशाी ब्रिगेडियर खुशाल चंद ठाकुर को 48.14 फीसदी वोट मिले। वहीं नोटा पर 1.68 फीसदी लोगों ने बटन दबाया। ऐसे में नतीजों में नोटा भी निर्णायक हो गया है। साफ है नोटा पर बटन दबाने वाले मतदाता कांग्रेस को भी वोट नहीं देना चाहते थे।
राजस्थान में भाजपा निर्दलीय प्रत्याशी से पीछे
राजस्थान के उप चुनाव परिणाम भाजपा के लिए बड़े सिर दर्द लेकर आए हैं। वल्लभ नगर विधान सभा सीट पर तो भाजपा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला चौथे नंबर पर रहे। उन्हें केवल 21278 मत मिले। जबकि विजयी कांग्रेस प्रत्याशी प्रीति गजेंद्र सिंह शेखावत को 65378 मत मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी उदयलाल दांगी को 44978 मत मिले। इसी तरह धारीवाड़ में भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह को 46415 मत मिले । जबकि उनसे ज्यादा मत कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार को मिले।
शिवसेना को पहली बार महाराष्ट्र से बाहर जीत
ऐसा पहली बार हुआ है कि शिवसेना को महाराष्ट्र के बाहर किसी संसदीय सीट पर जीत का स्वाद का चखने का मौका मिला है। पार्टी की दादरा और नगर हवेली सीट पर उम्मीदवार डेलकर कलाबेन मोहनभाई ने भाजपा के गावित महेशभाई को 51269 मतों से हरा दिया।
आदिवासी इलाके में भाजपा की सेंध
मध्य प्रदेश की जोबट विधान सभा पर भाजपा की जीत के कई मायने हैं। आदिवासी इलाके में ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है। पिछले 70 साल में जोबट पर भाजपा केवल 2 बार यह सीट जीत पाई थी। यह जीत भाजपा के लिए कितनी मायने रखती है, यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान से भी साफ पता चलता है। उन्होंने उप चुनाव के रूझानों के समय खास तौर से जोबट का जिक्र किया और कहा इस जीत से साफ है कि आदिवासी समाज के लिए सरकार द्वारा किए गए काम पर मुहर लगी है।
57 मतों से हारने वाले इस बार 1.64 लाख वोटों से जीते
पश्चिम बंगाल उप चुनाव में दिनहाटा सीट का परिणाम भी काफी रोचक रहा है। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के उदयन गुह ने 164089 मतों से भाजपा उम्मीदवार अशोक मण्डल को हराया है। खास बात यह है कि इसी सीट पर उदयन पिछले विधान सभा चुनाव में केवल 57 मतों से हार गए। उस समय उन्हें भाजपा के निशित अधिकारी ने हराया था। इस बार के उप चुनावों में उदयन ने सबसे बड़ी जीत हासिल की है।
टीआरएस को झटका
लगातार दो बार से सत्ता पर काबिज तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को भी झटका लगा है। तेलंगाना की हुज़ूराबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी ईटला राजेंदर ने तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के गेल्लू श्रीनिवास यादव को 23855 मतों से हराया है। खास बात यह है कि राजेंदर पहले राव कैबिनेट ही मंत्री थी। उन्हें राव द्वारा मंत्री पद से हटाए जाने के बाद, राजेंदर ने तेलंगाना राष्ट्रीय समिति से इस्तीफा दिया था। हुजूराबाद की हार चंद्रशेखर राव के लिए झटका है।