- हरीश रावत बोले- जितिन प्रसाद का बीजेपी में जाना उनके खुद के परिवार का अपमान
- वीरप्पा मोइली बोले- जितिन प्रसाद जातिवाद की राजनीति कर रहे थे
- कपिल सिब्बल ने कहा था कि 'प्रसाद' की राजनीति
जितिन प्रसाद जो बुधवार तक कांग्रेस के थे वो अब बीजेपी के हो चुके हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा था कि सिर्फ बीजेपी ही राष्ट्रवादी पार्टी है शेष दल तो व्यक्तिवादी हैं। लेकिन उनके इस बयान पर कांग्रेस के नेता बौखलाहट में हैं। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि जितिन प्रसाद का बीजेपी में शामिल होना हम लोगों के चेहरे पर जोरदार झापड़ है। यह दुख देने के साथ दिल को तोड़ने वाला है, उन्हें आश्चर्य होता है कि वो कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टी बता रहे हैं और उसी पार्टी में जाकर शामिल हुए जिसके खिलाफ उनके परिवार ने लड़ाई लड़ी थी। लेकिन इससे इतर वीरप्पा मोइली ने जो ट्वीट किया वो खास है।
जितिन प्रसाद जातिवादी थे
कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि ज्यादा नेता नहीं, सिर्फ जितिन प्रसाद ही ने पार्टी को छोड़ा है। वह हमेशा एक संदिग्ध थे। वह धर्मनिरपेक्ष नहीं है। वह जातिवादी थे और यूपी में जातिवादी राजनीति को कायम रखना चाहते थे। उन्हें कई पद दिए गए थे। पार्टी की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध लोगों को जिम्मेदारी दी जाए।
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि जितिन प्रसाद के जाने के बाद यह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सिर्फ हताशा है या सच्चाई। क्या जितिन प्रसाद के रहते हुए कांग्रेस पार्टी जातिवादी थी या सिर्फ एक बयान है जिसके जरिए कांग्रेस खुद को बचा रही है। इस विषय पर जानकारों का क्या कहना है यह समझना भी जरूरी है। विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस को यह बयान देने से पहले ध्यान में रखना चाहिए था कि जब जब चुनाव नजदीक आते हैं राहुल गांधी मंदिरों का चक्कर लगाना शुरू कर देते थे।
अब ऐसे में कोई भी समझ सकता है कि कांग्रेस पार्टी किस तरह की राजनीति करती रही है। फिलहाल की फजीहत से बचाने के लिए आप इस तरह के आरोप मढ़ सकते हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी की महासचिव ने 2019 आम चुनाव के दौरान मंदिरों और महंतों से मिली थीं उसके बारे में पार्टी किस तरह से सफाई देगी। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस पार्टी इस तरह के ट्वीट के जरिए क्षणिक सांस ले रही है।