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Farmers Protest: क्या किसानों के आंदोलन से मुश्किल में है हरियाणा सरकार, दुष्यंत चौटाला पीएम मोदी से मिले

Updated Jan 13, 2021 | 14:16 IST

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सड़कों पर है तो उसका असर हरियाणा की राजनीति पर भी दिखाई दे रहा है। जजपा ने स्पष्ट किया कि अगर किसानों के मुद्दे पर सार्थक नतीजा नहीं आया तो सरकार पर इसका पड़ सकता है।

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दुष्यंत चौटाला ने पीएम नरेंद्र मोदी से की मुलाकात
मुख्य बातें
  • किसानों के प्रदर्शन से जजपा दबाव में
  • जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जल्द से जल्द किसान आंदोलन का रास्ता निकलना चाहिए
  • किसानों के 40 संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ हैं

नई दिल्ली। क्या किसानों के आंदोलन से हरियाणा सरकार मुश्किल में है। दरअसल यह सवाल हरियाणा में बड़ी तेजी से सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी की सहयोगी पार्टी जजपा दबाव में है। इस संदर्भ में सीएम मनोहर लाल खट्टर पहले ही कह चुके हैं कि सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। किसान आंदोलन के बारे में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस विषय पर समाधान जल्द ही निकलेगा। इस तरह की राजनीतिक घटनाक्रम के बीच उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। 

किसानों के दबाव में जजपा के कुछ विधायक
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में पिछले छह सप्ताह से जारी किसान आंदोलन के बीच हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बुधवार को मुलाकात की। इसमें प्रदर्शन संबंधी मामलों पर चर्चा होने की संभावना है।चौटाला हरियाणा में भाजपा नीत सरकार में गठबंधन साझेदार जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जजपा के कुछ विधायक प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में हैं।

मुलाकातों का दौर चला
जजपा ने एक बयान में कहा था कि चौटाला बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और चौटाला ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।बैठक के बाद खट्टर और चौटाला ने कहा था कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है और यह सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी।उन्होंने कहा था कि उन्होंने बैठक में राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में बातचीत की।

क्या कहते हैं जानकार
हाल ही में जिस तरह से करनाल में बीजेपी द्वारा आयोजित किसान महापंचायत में कुछ किसान संगठनों की तरफ से उत्पात मचाया गया उसके बाद जजपा के विधायकों के मन में यह बात बैठ गई कि गुस्सा अब अपने चरम पर है। अगर पार्टी की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया तो आगे की राजनीतिक राह मुश्किलों से भरी होगी। ऐसी सूरत में जजपा के पास दो विकल्प बचते हैं कि या तो सरकार से पार्टी अलग हो या सरकार पर कृषि कानूनों को प्रभावी दबाव डाले ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके। 

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