- पश्चिम बंगाल में डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह में कोरोना का जिक्र न करने का मामला
- कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लगाए संगीन आरोप
- बीजेपी ने सरकारी कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने का लगाया आरोप
नई दिल्ली। क्या पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामलों को छिपाया जा रहा है। क्या बंगाल वो सच नहीं सामने आने देना चाहती है जिसका जिक्र विरोधी दल कर रहे हैं। दरअसल गवर्नर जगदीप धनकड़ ने भी आरोप लगाया था कि कोरोना मामलों पर ममता सरकार पर्दा डाल रही है। अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज का जिक्र किया है किस तरह से मौत की वजहों का जिक्र न करने का निर्देश दिया गया। खासतौर से अगर किसी की मरीज को मौत कोरोना से हो जाती है तो मौत की वजह में कोरोना का जिक्र नहीं करना है।
अधीर रंजन चौधरी का संगीन आरोप
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बुधवार को हो वो सबूत रख चुके थे और उसका असर ये हुआ कि मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेद के एमएसवीपी को रातोंरात हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में जिस तरह से कोरोना के केस सामने आ रहे हैं वो भयावह होंगे। कोरोना का सामना करने के लिए यह जरूरी है कि बंगाल सरकार कोई ठोस एक्शन ले।
स्वप्न दासगुप्ता का भी संगीन आरोप
मुर्शिदाबाद का जिक्र करते हुए राज्यसभा सांसद स्वप्नदासगुप्ता ने कहा कि इसमें बड़ा घोटाला है। वो मुर्शिदाबाद में जारी सर्कुलर का जिक्र करते हुए कहते हैं कि साफ लिखा है कि कोविड 19 का जिक्र मौत की वजह में नहीं करना है। इससे बड़ा घोटाला और क्या हो सकता है। यही नहीं इससे साफ होता है कि पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना के विषय पर कितनी लापरवाह है।
बंगाल सरकार पूरी तरह लापरवाह
बीजेपी के आईटी सेल के अमित मालवीय कहते हैं कि मुर्शिदाबाद के एमएसवीपी को उस समय हटा दिया गया जब पता चला कि कोविड 19 को मौत की वजह का न बताने का सर्कुलर जारी किया गया है। जब यह मामला सामने आया तो ममता सरकार ने उस अधिकारी को बलि का बकरा बना दिया है। हकीकत यह है कि ममता सरकार को कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई में नाकाम है और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है।
दरअसल यह सवाल पहले भी उठते रहे। हाल ही में जब केंद्रीय टीम ने दौरा किया तो कई तरह के सवाल ममता सरकार की तरफ से उठाए गए। राज्य के सीएस राजीव सिन्हा ने कहा कि तकनीक के इस युग में जब बात हो सकती है तो दौरा करने का मतलब ही क्या है। यह बात अलग है कि शुरुआती आपत्ति के बाद केंद्रीय टीम को दौरा करने पर हरी झंडी दिखा दी गई। केंद्रीय टीम ने भी कोविड 19 के खिलाफ राज्य सरकार की तैयारियों पर असंतोष जताया था।