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पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह के पीछे क्या बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग जिम्मेदार या मामला कुछ और

Updated Jun 03, 2021 | 07:16 IST

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग मामले में अमरिंदर सिंह पर कांग्रेसी नेता निशाना साध रहे हैं।

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नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर साधा है निशाना
मुख्य बातें
  • बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग मामले में कांग्रेस के नेताओं ने खुद अपने सीएम को घेरा
  • अमरिंदर सिंह सरकार पर बादल परिवार के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आरोप
  • नवजोत सिंह सिद्धू केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बनाई समिति से कर चुके हैं मुलाकात

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। पंजाब की सियासत में बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग के मुद्दे पर विपक्ष से अधिक कांग्रेस के नेता खुद अपने सीएम अमरिंदर सिंह पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस नेता खास तौर से नवजोत सिंह सिद्धू ने मोर्चा खोल रखा है। कुछ दिन पहले वो दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा गठित कमेटी के सामने पेश होकर अपने पक्ष को रखा तो वहीं अमरिंदर सिंह गुरुवार को अपना पक्ष रख सकते हैं। 

पंजाब कांग्रेस में रार
अब सवाल यह है कि क्या बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग मामला ही वजह से है या सियासी तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू का सपना पूरा नहीं हुआ तो उन्हें ये दोनों मुद्दे अपने मंसूबों को जमीन पर उतारने के लिए मुफीजद लगे। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा गठित समिति ने पंजाब के विधायकों और मंत्रियों के दिल के हाल को जाना और परखा। बताया जा रहा है कि जिस तरह से अमरिंदर सिंह सरकार मे बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग केस में बादर परिवार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की उससे ना सिर्फ जनता में नाराजगी है बल्कि कार्यकर्ता भी नाराज हैं। ऐसी सूरत में अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जनता की नाराजगी को झेलना मुश्किल हो जाएगा। 

बेअदबी के मुद्दे पर गरम हैं कांग्रेस नेता
बताया जा रहा है कि केंद्रीय आलाकमान इस नतीजे पर पहुंचा है कि अगर असंतोष की लपटों पर सुलह का पानी नहीं डाला गया तो कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि अगर कोटकपुरा मुद्दे को एक पल के लिए छोड़ भी दें तो बेअदबी के मुद्दे को सुलझाना होगा क्योंकि पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं के असंतोष को दूर करने के लिए यही एक मात्र तरीका है। हालांकि इससे भी बड़ी बात यह है कि क्या सिर्फ मामले यहीं तक सीमित है। 

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की अदावत किसी से छिपी नहीं है। सीएम बनने का सपना पाले सिद्धू को जब कामयाबी नहीं मिली तो मुखर विरोध का रास्ता चुना। लेकिन जिस तरह से निकाय चुनावों में कांग्रेस को कामयाबी मिली तो अमरिंदर सिंह के पास यह कहने का विकल्प था कि अगर पार्टी या जनता में असंतोष होता तो जीत नहीं हासिल होती। लेकिन राजनीति में मुद्दों की कमी नहीं होती है। हर एक दिन कोई ना कोई मामला सामने आता रहता है और यह तो किसी नेता की पारखी नजर ही होती है कि वो किस तरह से मुद्दों को अपने पक्ष में करता है। 

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