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Opinion India Ka: क्या VIP कल्चर का कोई इलाज नहीं है, सत्ता का नशा कानून से ऊपर है?

Updated Jun 10, 2022 | 23:40 IST

देश में सत्ता का 'नशा' पुराना है। रसूख और पैसे के नशे में डूबे वीआईपी क्यों किसी सिस्टम को नहीं मानते। आज इस सोच पर विस्तृत ओपिनियन जानिए। देश से वीआईपी कल्चर खत्म क्यों नहीं होता?

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Opinion India Ka : रसूख और पैसे के नशे में डूबे वीआईपी क्यों किसी सिस्टम को नहीं मानते।आज उस वीआईपी कल्चर की, जिसमें सत्ता से जुड़े रसूखदारों की आँखों पर गुरुर का चश्मा चढ़ जाता है। अजीब ये कि इस चश्मे से उन्हें अपने अलावा सब दिखना बंद हो जाता है। पापा विधायक हैं हमारे, चाचा मंत्री हैं हमारे, कानून हमारी जेब में है। पुलिस हमारे ठेंगे पर है। हम नियम-कायदों से ऊपर हैं। हम किसी की परवाह नहीं करते। दम है तो एक्शन लेकर दिखाओ।

वाह रे वीआईपी वाह, जब पापा और चाचा पावर में होते हैं तो चाहे बेटी हो या भतीजा, भई, रौब कुछ ऐसा ही होता है क्योंकि पापा विधायक हैं हमारे, चाचा मंत्री हैं हमारे। मान गए सत्ता की हनक हो तो ऐसी हो वरना ना हो। पहले गलत कर जाओ और फिर पुलिस पर भी चढ़ जाओ। पुलिस बातों से ना माने तो पापा का परिचय बताओ क्योंकि पापा विधायक हैं हमारे।

तस्वीरें कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की हैं। जहां BMW वाली मैडम ने पापा की पावर के रौब में पहले रेड लाइट क्रॉस कर दी। पुलिस ने मैडम को रोका, चालान काटने की बात की तो हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया। बजाय अपनी गलती स्वीकारने के मैडम अपने पापा की पहुंच दिखाने लगीं...बताने लगीं कि विधायक की गाड़ी है। बेचारे पुलिसवाले सुनते रहे, समझाते रहे लेकिन जनाब मैडम वीआईपी हैं इनके सामने खाकी वर्दी की औकात क्या? तो ये उन पर अपनी अकड़ दिखाती रहीं।

मीडिया के कैमरों ने उनकी हरकत को कैद करना चाहा तो उन पर भी गुस्सा दिखाने लगीं। कैमरों पर हाथ तक मार दिया। मैडम किसी की सुनने को तैयार नहीं थीं। बाद में कार में सवार हो गई और मौके से भागने लगीं लेकिन पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो फिर वही बहस, गुस्सा, अकड़, एंगर...क्योंकि पापा विधायक हैं हमारे। ये मैडम बीजेपी विधायक अरविंद लिंबावली की बेटी थीं। जिन्होंने अपने पिता के पद का दुरुपयोग किया। हालांकि बाद में विधायक पिता ने बेटी के किए पर माफी मांग ली है।
 
बेंगलुरू हो या उत्तर प्रदेश का बरेली वीआईपी कल्चर का इकोसिस्टम एक जैसा ही है। अब इन जनाब को ही ले लीजिए। ये जो बोल रहे हैं। वो हम आपको सुना भी नहीं सकते। जब चाचा मंत्री होते हैं तो जुबान कुछ ऐसे ही बिगड़ैल हो जाती है। देखा कितने अच्छे संस्कार हैं। क्या आप ऐसा कर सकते हैं, कहां से करेंगे आपके चाचा मंत्री थोड़े ही हैं। तो ये हैं यूपी के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉक्टर अरुण कुमार के भतीजे। जिन्होंने एक होमगार्ड के जवान के साथ जमकर गाली-गलौज किया और मारपीट की।

लेकिन इसमें इनकी कोई गलती नहीं थी क्योंकि ये तो जो बीयर पी थी थोड़ा उसका नशा था और थोड़ा मंत्री चाचा का तो जवानी में जोश आ गया और होमगार्ड के जवान पर उतार दिया। बाद में मंत्री के भतीजे के खिलाफ एक्शन लेते हुए पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में चालान काट दिया है लेकिन इससे क्या होने वाला है क्या देश से वीआईपी कल्चर खत्म हो जाएगा। क्या इनके सिर पर सवार अपनों की सत्ता का नशा उतर जाएगा। अगर नहीं तो फिर इस वीआईपी कल्चर का आखिर परमानेंट इलाज क्या है। सोचने की जरूरत है।

देश से वीआईपी कल्चर खत्म क्यों नहीं होता?

ढुलमुल रवैया-61%
पुलिस पर दबाव-09%
कड़ी सजा नहीं-26%
कह नहीं सकते-04%

देश की जनता ऐसे लोगों के बारे में क्या सोचती है...जनता को क्या लगता है कि इस समस्या से निपटने का तरीका क्या है।

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