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AzaadiSAT माइक्रोसेटेलाइट को ISRO आज करेगा लॉन्च, देशभर के सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं ने तैयार किया डिजाइन

Updated Aug 07, 2022 | 00:10 IST

AzaadiSAT Microsatellite: इसरो लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से आजादीसैट को पृथ्वी की कक्षा में आज स्थापित करेगा। यह उपग्रह आठ किलोग्राम का क्यूबसैट है, जिसे देश भर के सरकारी स्कूलों की छात्राओं द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
आजादीसैट लॉन्च करेगा इसरो

AzaadiSAT Microsatellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से आजादीसैट को पृथ्वी की कक्षा में रविवार को स्थापित करेगा। इस देश भर के सरकारी स्कूलों की छात्राओं ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया है। आजादीसैट (AzaadiSAT) एक क्यूबसैट है जिसका वजन करीब 8 किलोग्राम है। यह फीमेलो प्रयोग करने के लिए 75 अलग-अलग पेलोड ले जाता है, जिनमें से प्रत्येक का वजन 50 ग्राम होता है। आजादीसैट पेलोड रवींद्रनाथ टैगोर की मूल आवाज में अंतरिक्ष में डेढ़ मिनट तक जनगण मन बजाएगा। अंतरिक्ष जागरूकता पर Spacekidz सॉन्ग अंतरिक्ष में बजाया जाएगा, नए सोलर सेल के साथ एक सेल्फी कैमरा का परीक्षण और अंतरिक्ष में निगरानी की जाएगी,  35,000 बच्चों के नाम के साथ 109 ड्राइंग अंतरिक्ष में भेजे गए। कई पेलोड के बीच, एक पेलोड को किशोरों द्वारा कोडित किया गया था जो रिडिएशन और तापमान का पता लगाएगा। इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए 'स्पेस किड्स इंडिया' द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।

इसरो अपने पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान मिशन के साथ रविवार को एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और एक छात्र उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। इस ऐतिहासिक मिशन को यहां से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से अंजाम दिया जाएगा। अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण करेगा, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।

इसरो के वैज्ञानिक ऐसे छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पिछले कुछ समय से लघु प्रक्षेपण यान विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनका वजन 500 किलोग्राम तक है और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से करीब 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है।

रविवार के मिशन में एसएसएलवी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस)-02 और एक सह-यात्री उपग्रह आजादीसैट को ले जाएगा - जिसे 'स्पेस किड्ज इंडिया' की छात्र टीम द्वारा विकसित किया गया है। इसरो के सूत्रों के अनुसार, अन्य अभियानों की तुलना में उलटी गिनती को 25 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दिया गया है और रविवार को इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 9.18 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा जिसके लिए उलटी गिनती रविवार को ही सुबह 4.18 बजे शुरू होने की उम्मीद है। लगभग 13 मिनट की यात्रा के बाद, एसएसएलवी सबसे पहले ईओएस-02 को इच्छित कक्षा में स्थापित करेगा। इस उपग्रह को इसरो द्वारा डिजाइन किया गया है।

आज़ादीसैट में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं। स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।
 

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