लाइव टीवी

IVF से जन्मी मासूम ने यूं बचाई भाई की जान, देश में पहली बार हुआ ऐसा

Updated Oct 15, 2020 | 21:17 IST

Thalassemia IVF news: आईवीएफ की मदद जन्‍मी मासूम ने थैलेसेमिया से पीड़‍ित अपने भाई को अस्थिमज्‍जा देकर उसकी जान बचाई। डॉक्‍टर्स के मुताबिक, यह देश में इस तरह का पहला मामला है।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
IVF से जन्मी मासूम ने यूं बचाई भाई की जान, देश में पहली बार हुआ ऐसा
मुख्य बातें
  • एक साल की मासूम ने अस्थिमज्जा देकर भाई की जान बचाई
  • छह साल का यह बच्‍चा थैलेसेमिया से पीड़‍ित था
  • बच्‍ची का जन्‍म आईवीएफ के जरिये हुआ

अहमदाबाद : थैलेसेमिया से पीड़ित अपने भाई को अस्थिमज्जा देकर उसकी जान बचाने के लक्ष्य से आईवीएफ की मदद से जन्मी एक साल की बच्ची अपने छह साल के भाई की जान बचाने में कामयाब रही है। काव्या नाम की इस बच्ची का जन्म साल भर पहले अहमदाबाद में 'इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन' (आईवीएफ) की मदद से 'रक्षक सहोदर' अवधारणा के तहत हुआ।

डॉक्टरों ने गुरुवार को बताया कि इस साल मार्च में काव्या के अस्थिमज्जा का प्रतिरोपण उसके भाई अभिजीत सोलंकी को किया गया और अब उसे कोई खतरा नहीं है। दोनों बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि सहदेव सिंह सोलंकी और अल्पा सोलंकी की दूसरी संतान अभिजीत को थैलेसेमिया-मेजर की समस्या थी जिसमें मरीज को हर महीन खून चढ़ाना पड़ता है।

इसलिए अपनाया आईवीएफ का रास्‍ता

थैलेसेमिया-मेजर के मरीजों को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत होती है और उनकी जीवन प्रत्याशा भी कम होती है। ऐसे में अभिजीत के इलाज के लिए उसके माता-पिता को उसका अस्थिमज्जा प्रतिरोपण करने का सुझाव दिया गया, लेकिन वे अपने बेटे के लिए, उसके अनुकूल एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) नहीं खोज सके।

शहर के नोवा आईवीएफ क्लीनिक के मेडिकल निदेशक डॉक्टर मनीष बैंकर ने कहा, 'प्रतिरोपण के लिए मैचिंग एचएलए दानदाता की अनुपलब्धता की स्थिति में हमने मैचिंग एचएलए वाले आईवीएफ का रास्ता अपनाया।' एचएलए टाइपिंग की यह प्रक्रिया ऐसे बच्चे के लिए गर्भाधान का स्थापित तरीका है जो गंभीर बीमारी से पीड़ित अपने सहोदर में प्रतिरोपण के लिए गर्भनाल का रक्त या विशेष स्टेम कोशिकाएं दान कर सकता है।

'भारत में यह पहला मामला'

बैंकर ने बताया, 'थैलेसेमिया-मेजर के मरीजों के लिए एचएलए-समान (आईडेंटिकल) दानदाता से मिला अस्थिमज्जा प्रतिरोपण बेहतरीन विकल्प है। हमने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए बड़े भाई की जीवन रक्षा के लिए स्वस्थ रक्षक सहोदर को तैयार किया।' आईवीएफ की मदद से अभिजीत की मां ने साल भर पहले स्वस्थ बच्ची काव्या को जन्म दिया, जिसका एचएलए उसके भाई से मैचिंग था।

बैंकर ने बताया कि इस साल मार्च में जब काव्या का वजन जरुरत के अनुसार सही हो गया तो सीआईएमएस अस्पताल में उसके अस्थिमज्जा का अभिजीत में सफल प्रतिरोपण किया गया। उनका कहना है, 'अब अभिजीत को कोई खतरा नहीं है और उसे खून चढ़ाने की जरूरत नहीं है।'

बैंकर ने कहा, 'भारत में यह पहला मामला है जब खास तौर से थैलेसेमिया-मेजर से ग्रस्त सहोदर की जान बचाने के लिए आईवीएफ की मदद से मैचिंग एचएलए वाले बच्चे को जन्म दिया गया हो।' अभिजीत के पिता ने अपने बेटे की जान बचाने के लिए बैंकर और डॉक्टरों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, 'दोनों बच्चों को स्वस्थ्य देखकर मुझे खुशी हो रही है।'
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।