नई दिल्ली : राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने पर जमीयत उलमा-ए-हिंद सरकार के साथ खड़ी नजर आई है। जमीयत के पदाधिकारी महमूद मदनी ने गुरुवार को कहा कि वह चाहते हैं कि सरकार एनआरसी को पूरी देश में लागू करे। उन्होंने कहा कि इससे पता चल जाएगा कि देश में कितने घुसपैठिए हैं। सरकार यदि एनआरसी पूरे देश में लागू करती है तो इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं है। जमीयत का यह रुख सरकार को राहत देने वाला है। मुस्लिम संगठन ने कहा है कि वह कश्मीर मसले और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर भारत सरकार के साथ है।
मदनी से यह पूछे जाने पर कि सरकार एनआरसी को यदि पूरे देश में लागू करती है तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी। इस पर मदनी ने कहा, 'मैं सारे मुल्क में एनआरसी लागू करने की मांग करना चाहता हूं। इससे पता चल जाएगा कि देश में घुसपैठिए कितने हैं। जो असली हैं उनके ऊपर भी दाग लगाया जाता है तो इससे वास्तविकता का पता चल जाएगा। एनआरसी यदि पूरे देश में लागू होता है तो इससे मुझे कोई दिक्कत नहीं है।'
इससे पहले मुस्लिम संगठन ने कश्मीर पर प्रस्ताव पारित कर इसे भारत का अंदरूनी मसला बताया। मदनी ने कश्मीर पर झूठ और प्रोपगैंडा फैलाने के लिए पाकिस्तान की निंदा की। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान दुनिया को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि भारतीय मुसलमान कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के खिलाफ हैं। पाकिस्तान की इस सोच की हम निंदा करते हैं।' मदनी ने कहा, 'हमने आज एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कश्मीर को भारत का आंतरिक मुद्दा बताया गया है। हम अपने देश की सुरक्षा एवं अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। भारत हमारा देश है और हम इसके साथ खड़े हैं।'
एनआरसी पर जमीयत उलमा-ए-हिंद का यह रुख सरकार को राहत देने वाला है क्योंकि विपक्ष की कई पार्टियां सरकार के इस कदम का विरोध कर रही हैं। सरकार एनआरसी को सबसे पहले असम में लागू कर रही है। वहां करीब 19 लाख लोग एनआरसी के दायरे से बाहर हो गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एनआरसी से बाहर होने पर विपक्षी पार्टियां सरकार को निशाने पर ले रही हैं। एनआरसी की सूची जो जारी हुई है उसमें बड़ी संख्या में वैध हिंदू नागरिकों के नाम नहीं हैं। एनआरसी का सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं। ममता ने कहा है कि वह पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी।