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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त से लेकर आज की तारीख में करीब करीब शांति है। राज्य के सभी इलाको में अब कर्फ्यू नहीं है, मोबाइल सेवा से पांबदी हटा ली गई है। स्कूल और कॉलेज पहले की तरह काम कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को सही माएने में आजादी कहा है। इस तरह के आरोपों का जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने न केवल अलगाववादी नेताओं को कड़ा संदेश दिया बल्कि आम लोगों के दिल को छूने की कोशिश की।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब वो घाटी आए तो उन्होंने खुफिया एजेंसियों से किसी तरह की जानकारी नहीं ली, क्योंकि न तो वो दिल्ली या उन्हें सच बताते थे। इसके लिए वो 150 से 200 छात्रों से रूबरू हुए जो राष्ट्रगान में यकीन करते थे। छात्रों ने कहा कि असली दिक्कत 13-30 वर्ष के युवकों में हैं, अलगाववादी और आतंकी संगठन कहते हैं कि शहीद होने के बाद वो जन्नत जाएंगे। लेकिन वो कहना चाहते हैं कि उन्हें ये तो पता नहीं कि इस्लाम में जन्नत किस तरह से मिलती है।
मलिक ने कहा कि वो जरूर जानते हैं कि जन्नत आप दो तरह से हासिल कर सकते हैं। पहले तो आप जिस धरती पर हैं उसे बेहतर बनाकर जन्नत में रह सकते हैं जिस तरह से जहांगीर ने घोड़े से उतर कर जम्मू-कश्मीर को धरती का जन्नत बताया था। इसके साथ ही आप इस इलाके की बेहतरी और खुद की बेहतरी के बाद जब इस दुनिया से रुखसत होंगे तो जन्नत मिलेगी। जहां तक शहीद होकर जन्नत की बात है तो उन्हें नहीं पता कि इस तरह से भी जन्नत मिलती है या कुछ और।