सालों तक झारखंड के खुंटी जिले के मुरहू ब्लॉक के तहत आने वाले कोजोंड गांव की निवासी इमोन पाहन पानी की तलाश में लगभग 2 किलोमीटर तक पैदल चलती थीं। यह मुश्किल काम उनकी दिनचर्या का हिस्सा था क्योंकि उनके गांव में पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं था। फिर एक दिन वह बीमार पड़ गईं। इमोन की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के बाद पति चाडा पाहन से फैसला किया कि वो गांव में ही पानी का इंतजाम करेंगे।
कुछ दिनों के बाद जब चाडा जलाने के लिए लकड़ी लाने पास की एक पहाड़ी पर गए तो उन्होंने उस पहाड़ की चट्टानों से टपकता हुआ पानी देखा। तभी 35 साल के दिहाड़ी मजदूर को विचार आया कि ग्रामीणों को पानी उपलब्ध कराने के लिए कुआं क्यों नहीं खोदा जाए।
पाइपलाइन से घर तक पहुंच रहा पानी
एक वर्ष से भी कम समय में चाडा ने चट्टानों के बीच एक 25 फुट गहरा कुआं खोदा और लोगों के दरवाजे तक पानी पहुंचाने में सफल रहा। उनके घर और कुएं के बीच की दूरी लगभग 500 मीटर है। चाडा ने पाइपलाइन के माध्यम से अपने दरवाजे पर पानी लाने का फैसला किया, जिसका लाभ पूरे गांव को मिल रहा है।
पूरे गांव को हो रहा फायदा
चाडा का कहना है, 'गांव के 50 से अधिक घरों में इस कुआं का पानी पहुंच रहा है। बिना बिजली या पंप का उपयोग किए बिना चौबीसों घंटे जलापूर्ति की जा रही है। कुआं गांव से लगभग 250 फीट ऊपर स्थित है। यह वास्तव में एक कठिन कार्य था। लेकिन मैंने उम्मीद नहीं खोई और आखिरकार एक साल से कुआं खोदने में सफल रहा। यह एक बड़ी राहत है कि अब पानी लाने के लिए बहुत नहीं चलना पड़ता है। गांव वाले इस काम के लिए चाडा की जमकर तारीफ कर रहे हैं। एक ग्रामीण का कहना है, चाडा ने सराहनीय काम किया है और पूरे गांव को पानी का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान करके राहत दी है।'