- यूपी के प्रतापगढ़ में पत्रकार की मौत केस में कई तरह की थ्योरी आ रही हैं सामने
- परिवार वालों के मुताबिक शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर गई जान
- प्रतापगढ़ पुलिस के मुताबिक दुर्घटना में गई पत्रकार की जान
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए एक टीवी पत्रकार की मौत की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और अलीगढ़ से प्रतापगढ़ तक शराब माफिया नकली शराब के कारोबार में लिप्त पाए गए हैं, सैकड़ों लोग मारे गए हैं और जो पत्रकार उन्हें उजागर कर रहे थे, उन पर हमला किया गया है।
कांग्रेस ने की सीबीआई जांच की मांग
प्रियंका गांधी ने कहा कि पीड़ित परिवार को यूपी सरकार आर्थिक मदद मुहैया कराए। अपनी मृत्यु से ठीक एक दिन पहले, एक टीवी चैनल के लिए काम करने वाले सुलभ श्रीवास्तव ने शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को लिखा था कि जिले में शराब माफियाओं की उनकी हालिया रिपोर्ट के बाद उन्हें खतरा महसूस हो रहा है।सुरक्षा की मांग करते हुए श्रीवास्तव ने कहा था कि उन्हें सूत्रों द्वारा सूचित किया गया है कि उनकी रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद शराब माफिया उनसे नाराज हैं और उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाना चाहते थे।प्रतापगढ़ पुलिस ने कहा है कि पत्रकार की मौत मोटरसाइकिल दुर्घटना में हुई है।
प्रतापगढ़ पुलिस के मुताबिक दुर्घटना
प्रतापगढ़ पुलिस ने एक बयान में कहा कि श्रीवास्तव रविवार रात करीब 11 बजे मीडिया कवरेज के बाद अपनी मोटरसाइकिल से लौट रहे थे। वह एक ईंट भट्टे के पास अपनी मोटरसाइकिल से गिर गए। कुछ मजदूरों ने उन्हें सड़क से उठाया और फिर उसके दोस्तों को फोन करने के लिए उसके फोन का इस्तेमाल किया। पुलिस ने अपने बयान में कहा, इसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।पुलिस ने यह भी कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि श्रीवास्तव की बाइक सड़क पर एक हैंडपंप से टकराने के बाद गिर गई।पुलिस ने यह भी कहा कि वे मामले में अन्य एंगल से जांच कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि पत्रकार की मौत का सच क्या है। इसके लिए इलाके में अलग अलग तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि शराब माफियाओं के हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। अगर बात प्रतापगढ़ की करें तो कई सफेदपोश इस नकली शराब के धंधे में शामिल हैं और उनके खिलाफ आवाज उठाना आसान नहीं है। पहले भी कुछ लोगों ने शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की। लेकिन किसी ना किसी रूप में आवाज दबा दी गई है।
इस मामले में जानकार कहते हैं कि अगर प्रतापगढ़ में किसी भी कप्तान का कार्यकाल देखें तो उनका कार्यकाल औसतन आठ से 9 महीने का रहा है। खासतौर से जिन कप्तानों ने शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की तो उसे चैन से नहीं रहने दिया गया। हालांकि आप इसे ऐसे नहीं कह सकते हैं जिस तरह से टीवी पत्रकार की मौत हुई है उसमें पुख्ता तौर पर किसी शराब माफिया का ही हाथ होगा। इसके लिए गहराई से जांच पड़ताल की जरूरत है।
नकली शराब और शराब माफिया
अब यह बड़ा सवाल है कि जब सूबे के कोने कोने में सरकारी शराब की दुकानें हैं तो नकली शराब बनवाने के पीछे वजह क्या है तो इसका जवाब आसान है। दरअसल सामान्य तौर पर अगर आप ठेके से शराब खरीदते हैं तो उसके लिए टैक्स देना पड़ता है। लेकिन नकली शराब के साथ ऐसा कुछ नहीं है। नकली शराब निर्माता को किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता है और वो करीब 70 फीसद से ज्यादा की मार्जिन पर व्यापार करता है। इसे आप सरकापी ठेका के समानांतर व्यापार कह सकते हैं। अब जो लोग इसे इस्तेमाल करते हैं वो कम कीमत में शराब का सेवन कर सकते हैं यह बात अलग है कि नकली या अवैध शराब जिंदगी पर कहर बनकर टूट पड़ती है। इसका ताजा उदाहरण अलीगढ़ शराब कांड है।