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कुनबा बढ़ाने के चक्कर में राहुल लेकिन कहीं खुद का न जाए बिखर, डिनर पार्टी खतरे की घंटी

Updated Aug 10, 2021 | 15:33 IST

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी ने राहुल गांधी को साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी नहीं कर सकती है। क्योंकि आज भी उनके पास दमखम दिखाने और विपक्ष को एकजुट करने अनुभव ज्यादा है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
राहुल गांधी और कपिल सिब्बल
मुख्य बातें
  • एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला, सीपीएम नेता सीता राम येचुरी, अकाली दल के नेता नरेश गुजराल शामिल थे।
  • गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, शशि थरूर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चाह्वाण जैसे जी-23 के कांग्रेस नेता हुए शामिल
  • बीजू जनता दल और शिरोमणि अकाली दल का विपक्षी खेमे में पहुंचना, भाजपा के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली: पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए नाश्ते पर बुलाया था। उनके निमंत्रण पर 15 दलों ने शिरकत भी की। लेकिन उनके नेतृत्व पर लगातार सवाल उठाने वाले कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल के घर सोमवार को हुई डिनर पार्टी ने राहुल गांधी की चिंताए बढ़ा दी होंगी। सिब्बल  के जन्म दिन के मौके पर हुई पार्टी में कई ऐसे विपक्षों दलों ने शिरकत की है, जिन्हें राहुल गांधी अपनी मीटिंग नहीं बुला पाए थे। साथ ही इस बैठक में कांग्रेस के अंदर बने ग्रुप-23 के भी कई अहम नेता शामिल हुए। जाहिर है इस मीटिंग के कई सियासी मायने हैं। अब देखना यह है कि यह रात की बैठक, उजाले के लिए कितनी रोशनी लेकर आती है।

शरद पवार के आने के मायने

इस बैठक में सबसे चौंकाने वाली शिरकत एनसीपी प्रमुख शरद पवार की रही है। क्योंकि जब राहुल गांधी ने उन्हें  नाश्ते पर  बुलाया था तो वह खुद नहीं गए थे। बल्कि उन्होंने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मीटिंग के लिए भेजा था। एक समय सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े करके कांग्रेस छोड़ने वाले शरद पवार इसी कोशिश में है कि वह विपक्ष का चेहरा बने। इस सिलसिले में शिवसेना सहित एनसीपी नेताओं के तरफ से बीच-बीच में यह मांग उठती रही है कि सोनिया गांधी की जगह शरद पवार को यूपीए का प्रमुख बनना चाहिए। इसके अलावा हाल ही में कई बार चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी हुई बैठकें भी सियासी कयासों को बल दे रही हैं।

बीजू जनता दल और शिरोमणि अकाली दल का विपक्षी खेमे में पहुंचना

सिब्बल के घर हुई इस मीटिंग में भाजपा की सबसे पुरानी साथियों में से एक रही शिरोमणि अकाली दल के नेता ने भी शिरकत की है। यह बैठक इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि राहुल गांधी के बुलावे पर भी शिरोमणि अकाली दल ने उनके नाश्ते का न्यौता स्वीकार नहीं किया था। ऐसा माना जा रहा था कि पंजाब में विधान सभा चुनाव को देखते हुए , अकाली दल उनसे दूरी बना कर रखना चाहता है। लेकिन सिब्बल की पार्टी में आने का मतलब है कि खिचड़ी कुछ और भी पक रही है। ऐसे ही बीजू जनता दल अभी तक विपक्षी खेमे से दूर रहा है लेकिन बैठक में शामिल होकर उसने भी संकेत दे दिया है कि वह अब भाजपा के खिलाफ खड़ा हो सकता है। खास तौर पर यह इसलिए भी मायने रखता है कि कई बार बीजू जनता दल ने राज्यसभा में अहम विधेयकों पर भाजपा का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से साथ दिया है।

कांग्रेस के नाराज नेताओं का राहुल का संदेश

बैठक में सिब्बल के घर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, शशि थरूर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चाह्वाण शामिल है। कांग्रेस के ये वो नेता हैं जिन्होंने कुल 23 वरिष्ठ नेताओं के साथ पिछले साल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को चिट्टठी लिखी थी। इन नेताओं ने पार्टी लगातार हो रही हार पर सवाल उठाते हुए पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी। इसके बाद कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ी है। ऐसे में साफ है कि ग्रुप-23 के नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं को नजर अंदाज नहीं करे। क्योंकि अगर राहुल गांधी विपक्ष के नेताओं को एकजुट कर सकते हैं। तो वरिष्ठ नेता भी कम नहीं है और उनसे कहीं बेहतर लोगों के साथ ताल-मेल रखते हैं। कांग्रेस की अंदरुनी राजनाति पर सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार का कहना है "यह तो जगजाहिर है कि कांग्रेस में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है। और नाश्ते या डिनर करने से गठबंधन नहीं बनता है। विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को तभी स्वीकार करेगा, जब वह मजबूत होंगे और यह उन्हें पार्टी बाहर के साथ-अंदर भी दिखाना होगा, क्योंकि वह जितना मजबूत होंगे उतनी ही उनकी राह आसान होगी।"

विपक्ष के इन नेताओं का आने के मायने

इस बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला, सीपीएम नेता सीता राम येचुरी, अकाली दल के नेता नरेश गुजराल शामिल थे। अहम बात यह है कि इन नेताओं में से किसी ने भी  राहुल गांधी के नाश्ते में शिरकत नहीं की थी। साफ है कि पुराने रिश्ते के आधार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी ताकत दिखाई है।

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