- देश और दुनिया में चारों तरफ कोविड-19 से भय का आलम
- कोरोना से देशभर में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है
- कोविड-19 के फैलने को लेकर अब भी है कई सवाल
दुनिया चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही है। चारो तरफ कोविड-19 की दहशत और भय का आलम है। सरकारें इस विपदा को दूर करने में जुटी हैं लेकिन कहीं से भी सुखद बातें सुनने को नहीं मिल रही हैं। इस संकट से उपजे अनिश्चितता के माहौल ने सभी को खतरे में डाल दिया है। मानव सभ्यता एक ऐसी चुनौती का सामना कर रही है जिसका निदान किसी के पास नहीं है। वायरस से मानव की लड़ाई नई नहीं है। बीतें दशकों में मनुष्य का सामना वायरस संकट से हो चुका है लेकिन इस पर विजय पा ली गई है। कोविड-19 या इस तरह के वायरस के बारे में वैज्ञानिक पहले भी आशंका जता चुके थे लेकिन सरकारों ने इस तरफ उतना ध्यान नहीं दिया जितना कि उन्हें देना चाहिए था। दुनिया अब इस वायरस के चंगुल में फंस गई है और खुद को असहाय सा महसूस कर रही है।
कहां से आया कोरोना? एक बड़ा सवाल
कोविड-19 के फैलने के बारे में यह बात सभी कह रहे हैं कि यह वायरस वन्यजीवों या चमगादड़ से होकर मनुष्यों में आया। सवाल यह है कि यह आया क्यों? वैज्ञानिकों का कहना है कि वन्यजीवों की ऐसी प्रजातियां हैं जो खतरनाक वायरस को अपने अंदर रखती हैं। इन जीवों की कुछ प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं। माना जा रहा है कि कोविड-19 का संक्रमण चमगादड़ से होकर मनुष्यों तक आया। चमगादड़, पैंगोलीन जैसे वन्यजीवों से वायरस फैलने का खतरा यदि बना हुआ है तो क्या यह जरूरी नहीं कि मनुष्य इनसे एक दूरी बनाकर रखे। या इन वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक वातावरण में रहने दे। इन वन्यजीवों के संपर्क में आने की जरूरत ही क्यों जो मानवता को खतरे में डाल दे।
कोविड-19 का फैलाव वुहान के मीट मार्केट से शुरू हुआ
कहा जा रहा है कि चीन में कोविड-19 का फैलाव वुहान के मीट मार्केट से शुरू हुआ। इस मीट मार्केट में चमगादड़, पैंगोलीन जैसे दुनिया भर के अजीबो-गरीब वन्य जीवों का मांस बेचा जाता है। इन वन्यजीवों में अपने खास तरह के वायरस होते हैं। मीट मार्केट में ये वन्यजीव एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। इनके वायरस के एक दूसरे के संपर्क में आने से भी नई प्रजाति के वायरस के उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। देखने में आया है कि ज्यादा गुणवत्ता युक्त प्रोटीन खाने की ललक और वन्य जीवों के अवशेष से बनने वाली सामग्रियों की खरीदने की चाहत वन्यजीवों की दुश्मन बन गई है।
वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में रहने दिया जाए
वन्यजीवों के अवशेषों से बनी सामग्रियां एवं उनके मांस अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे कीमत पर बेचे जाते हैं। इसलिए दक्षिण एशिया और अफ्रीका से इन वन्यजीवों की बड़ी संख्या में तस्करी होती है। खतरनाक वायरसों को ढोने वाले ये वन्यजीव यदि खत्म होते चले जाएंगे तो उन पर रहने वाले जीवाणु एवं विषाणु अपने लिए नए घर या नए आशियाने की तलाश करेंगे। यह प्रकृति के स्वाभाविक चक्र के खिलाफ है। इसे लोगों को समझने की जरूरत है। वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में रहने दिया जाए।
कोविड-19 से इतना बड़ा झटका खाने के बाद दुनिया को अब संभल जाने की जरूरत है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार करने और उसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है। खास तौर पर इन जीवों की तस्करी करने वाले लोगों पर नकेल कसा जाना चाहिए। लोगों को भी यह समझने की जरूरत है ज्यादा प्रोटीन की भरपाई अन्य खाद्य सामग्रियों को खाकर पूरी की जा सकती है। उन्हें वन्यजीवों का मांस खाने की जरूरत नहीं है। हम देख चुके हैं कि वन्यजीवों से फैले वायरस खरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था का नुकसान कर चुके हैं।
मनुष्य की इस अप्राकृतिक गतिविधि पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। अवैध एवं तस्करी के जरिए थोड़े से पैसे कमाने और मांस खाने की ललक ने दुनिया को संकट में डाल दिया है। इस संकट से दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं कराह रही हैं। हम खुद को कहां ले जाना चाहते हैं इसके बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है।