- इतिहासकार इरफान हबीब ने राज्यपाल के साथ एक कार्यक्रम के दौरान की थी अभद्रता
- राज्यपाल आऱिफ मोहम्मद खान बोले- मेर करीब तक आ पहुंचे थे इरफान हबीब
- सोशल मीडिया पर भी राज्यपाल के साथ हुई बदसलूकी का जमकर हुआ था विरोध
नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान शनिवार को जब कन्नूर में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अधिवेशन में नागरिकता कानून पर होने वाले हिंसक प्रदर्शनों को लेकर भाषण दे रहे थे। इस दौरान राज्यपाल ने देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलान अबुल कलाम आजाद का जिक्र किया तो मंच पर बैठे प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब भड़क गए और भाषण का विरोध करने लगे। अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
खुद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस बारे में प्रतिक्रिया दी है और कहा कि वो मेरा कॉलर खींचने के करीब आ गए थे। राज्यपाल आऱिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'वहां पर एक और महान मलयायली लेखक बैठे थे जिनके विचार मेरे विचारों से भिन्न थे। वहां पर एक महान लेखक वहां और बैठे थे मैंने उनसे कहा कि जो लोग नारे लगा रहे हैं उन्हें यहां आमंत्रित करिए बातचीत के लिए, लेकिन वो मेरे पास आए और बोले कि वो नहीं आना चाहते हैं बल्कि विरोध करना चाहते हैं।'
राज्यपाल ने आगे कहा, 'मैंने कहा कि जब आप बातचीत के दरवाजे बंद करते हैं तो फिर इससे हिंसा और नफरत की माहौल आसान होती है। जब मैंने ऐसा कहा तो इरफान हबीब मेरे पास आए और गुस्सा हो गए वो सोफा के किनारे से ठीक मेरे पीछे आ गए जैसा आप वीडियो में देख सकते हो और बांयी तरफ उन्हें सुरक्षाकर्मियों और कुलपति ने रोक लिया। जैसे ही उन्होंने ऐसा किया तो वहां लोग नारेबाजी करने लगे। ये क्या है?
सीपीआई (एम) केरल के महासचिव कोदियेरी बालकृष्णन ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हर नागरिक को राजनीतिक क्रियाकलाप करने का हक है। अगर राज्यपाल (आरिफ मोहम्मद खान) को अपने पद की सीमाए नहीं पता है तो उन्हें इस्तीफा देकर पूर्ण रूप से राजनीति ही करनी चाहिए।'
आपको बता दें कि राज्यपाल के साथ इरफान हबीब द्नवारा की गई अभद्रता का सोशल मीडिया पर भी जमकर विरोध हुआ था। लोगों ने इरफान हबीब की गिरफ्तारी तक की मांग कर डाली।'इस बारे में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कार्यालय द्वारा ट्वीट कर कहा गया, 'वह तो केवल पिछले वक्ताओं के द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर प्रतिक्रिया देकर संविधान की रक्षा के अपने दायित्व को पूरा कर रहे थे। लेकिन दूसरे मत के प्रति असहिष्णुता के कारण मंच और श्रोताओं द्वारा भाषण को बाधित करने की कोशिश अलोकतांत्रिक है।'