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पत्नी की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है: केरल हाईकोर्ट

Updated Aug 07, 2021 | 07:40 IST

केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि कोई शख्स पत्नी को अपनी संपत्ति समझता है तो वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) है।

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पत्नी की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना मैरिटल रेप है: HC
मुख्य बातें
  • पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी संपत्ति समझना वैवाहिक बलात्कार है: उच्च न्यायालय
  • कोर्ट ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी सम्पत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है। अदालत ने पारिवारिक न्यायालय के तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए और देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है।

कोर्ट ने कही ये बात

पीठ ने कहा, ‘दंडात्मक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है। इसलिए, हमारा विचार है कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का ठोस आधार है।’अदालत ने क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका स्वीकार करने वाले पारिवारिक न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति की अपील खारिज कर दी। इसके अलावा अदालत ने पति द्वारा वैवाहिक अधिकारों की मांग करने वाली एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया।

इस मामले की हुई थी सुनवाई

अदालत ने अपने 30 जुलाई के आदेश में कहा, ‘पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी संपत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है।’ इस दंपत्ती की शादी 1995 में हुई थी और उनके दो बच्चे हैं। अदालत ने कहा कि पेशे से डॉक्टर पति ने शादी के समय अपनी पत्नी के पिता से सोने के 501 सिक्के, एक कार और एक फ्लैट लिया किया था।


पारिवारिक न्यायालय ने पाया कि पति अपनी पत्नी के साथ पैसे कमाने की मशीन की तरह व्यवहार करता था और पत्नी ने विवाह की खातिर उत्पीड़न को सहन किया, लेकिन जब उत्पीड़न और क्रूरता बर्दाश्त से परे पहुंच गई तो उसने तलाक के लिए याचिका दायर करने का फैसला किया।

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