- ममता बनर्जी ने किसान नेताओं के आंदोलन का समर्थन करने का आश्वासन दिया
- किसान तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ कई महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं
- किसान आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है। यह पूरे देश के लिए है: ममता
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को किसान नेताओं को नए कृषि कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया। कोलकाता में उन्होंने किसान नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें टीएमसी प्रमुख ने कहा कि एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां राज्य नीतिगत मुद्दों पर बातचीत कर सकें। उन्होंने कहा कि राज्यों को निशाना बनाना (बुलडोजिंग) संघीय ढांचे के लिए अच्छी बात नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेताओं ने कृषि और स्थानीय किसानों से जुड़े मुद्दों पर ममता बनर्जी से मुलाकात की। टिकैत ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि वह किसान आंदोलन का समर्थन करना जारी रखेंगी। इस आश्वासन के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं। पश्चिम बंगाल को एक मॉडल राज्य के रूप में काम करना चाहिए और किसानों को अधिक लाभ दिया जाना चाहिए।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को नुकसान हो रहा है और दवाओं पर जीएसटी लगाया जा रहा है। पिछले 7 महीनों से उन्होंने (केंद्र सरकार) किसानों से बात करने की जहमत नहीं उठाई। मेरी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। संघीय ढांचे में ऐसी प्रकृति की राज्य सरकारों का संघ होना चाहिए कि यदि किसी राज्य को परेशान किया जाता है तो दूसरे राज्य उसके साथ लड़ें।
टिकैत और युद्धवीर सिंह के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले 'भाजपा को वोट नहीं' अभियान का समर्थन किया था और आगामी राज्य चुनावों में भी इसे बढ़ाने की योजना है। बनर्जी ने किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कहा, 'किसानों के आंदोलन को समर्थन रहेगा। भारत पूरी उत्सुकता से ऐसी नीतियों का इंतजार कर रहा है जिनसे कोविड-19 से लड़ने में, किसानों और उद्योगों की सहायता करने में मदद मिल सकती है। किसानों से बात करना इतना मुश्किल क्यों है?'