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जानें कौन है आतंकी संगठन TRF, भाजपा के 3 नेताओं की हत्या की ली है जिम्मेदारी

Updated Oct 30, 2020 | 12:39 IST

The Resistance Front:रिपोर्टों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी वारदातों में टीआरएफ का नाम पहली बार सामने आया। सुरक्षा बलों का मानना है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक धड़ा है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
कश्मीर में भाजपा के 3 नेताओं की हुई है हत्या। -प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • गुरुवार को कुलगाम जिले में आतंकियों ने भाजपा के 3 नेताओं की गोली मारकर हत्या की
  • इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली है, कश्मीर में आतंक का नया चेहरा है यह संगठन
  • सुरक्षा बलों का मानना है कि टीआरएफ आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा का ही एक धड़ा है

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकियों ने भाजपा के तीन नेताओं की गोली मारकर हत्या कर दी। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। गुरुवार शाम को वाईके पोरा इलाके में फिदा हुसैन, उमर हजाम एवं उमर राशिद बेग को आतंकियों ने गोली मोरी। इन तीन नेताओं को घायल अवस्था में  काजीगुंड के अस्पताल पहुंचाया गया जहां इनकी मौत हो गई। गत जून से घाटी में भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताों पर हमले में तेजी आई है। गत जुलाई में बांदीपोरा में आतंकियों ने भाजपा नेता, उनके पिता एवं भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। कुलगांव में भाजपा नेताओं की हत्या की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है। आइए जानते हैं इस आतंकवादी संगठन के बारे में-

अनुच्छेद 370 हटने के बाद सामने आया यह आतंकी संगठन
रिपोर्टों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी वारदातों में टीआरएफ का नाम पहली बार सामने आया। सुरक्षा बलों का मानना है कि यह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक धड़ा है। गत दो फरवरी को लाल चौक पर हुए ग्रेनेड हमले की जांच करने के बाद सुरक्षा बलों ने टीआरएफ की भूमिका की तरफ इशारा किया। इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली। इस हमले में सीआरपीएफ के दो जवान सहित चार नागरिक घायल हुए। सुरक्षाबलों का मानना है कि अनुच्छेत 370 हटने के बाद कश्मीर में आतंकवादी वारदातें बढ़ाने के लिए दहशतर्दों ने टीआरएफ नाम से एक नया संगठन खड़ा किया है। खास बात यह है कि इस संगठन का नाम धार्मिक आधार पर नहीं किया गया है। 

घाटी में सक्रिय हैं आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल
विशेषज्ञों का मानना है कि संगठन का नाम धार्मिक आधार पर न करने के पीछे आतंकियों की यह दर्शाने की कोशिश है कि यह आतंकवादी संगठन अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के जवाब में खड़ा हुआ है। सुरक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया था, इसकी वजह से भी यह आतंकी संगठन पनपा होगा। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि कश्मीर में अभी भी हिज्बुल मुजाहिद्दीन, लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के स्लीपर सेल सक्रिय हैं। हालांकि, सेना के ऑपरेशन ऑल आउट से इन आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है और इनके टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं। 

कुपवाड़ा एनकाउंटर में शहीद हुए 5 जवान
पाकिस्तान और घाटी में अलगाववादी सोच रखने वाले तत्वों को उम्मीद थी कि अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के खिलाफ कश्मीर के लोगों में असंतोष पनपेगा और लोग आंदोलन करेंगे लेकिन उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो पाई। अब उनके सामने आतंकवाद को बढ़ावा देने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं बचा है। गत एक अप्रैल से चार अप्रैल के बीच कुपवाड़ा के केरन के डोंगरी बहक के समीप चले एनकाउंटर में पांच जवान शहीद हुए। टीआरएफ ने जवानों की हत्या की जिम्मेदारी ली। इसके बाद यह संगठन सुर्खियों में आया। इस दुर्गम इलाके की मुठभेड़ में टीआरएफ के पांच आतंकवादी भी मारे गए। बताया जाता है कि इस संगठन में स्थानीय आतंकवादी हैं।     

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