- रामलला विराजमान की पैरवी कर रहे थे 92 वर्षीय वकील के पाराशरण
- अयोध्या टाइटल केस में 40 दिन तक हुई सुनवाई
- इस मामले में राम जन्मभूमि न्यास, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा थे तीन बड़े पक्ष
नई दिल्ली। अयोध्या टाइटल सूट केस में जब मध्यस्थता कमेटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी तो सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया। 6 अगस्त से लेकर 16 अक्टूबर के बीच 40 दिन की सुनवाई जिसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से दिलचस्प दलीलें पेश की गईं। सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के जस्टिस के सामने वैसे तो कई वकीलों ने दलीलें रखी।लेकिन दो नाम ज्यादा चर्चा में रहे।
हिंदू पक्ष की तरफ से 92 वर्षीय पाराशरण ने रामलला विराजमान के संबंध में अकाट्य तर्क पेश किए तो मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने यह समझाने की कोशिश की राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी। यहां पर हम आपको बताएंगे कि के पाराशरण कौन हैं।
एक नजर में के पाराशरण
रामलला विराजमान की तरफ से के पाराशरण पेश हुए
वकीलों के खानदान से आने वाले पाराशरण को हिंदू धर्मग्रंथों की अच्छी जानकारी।
सबरीमाला मंदिर केस में नायर सर्विस सोसाइटी की तरफ से हुए थे पेश।
पाराशरण पहले सालिसिटर जनरल और बाद में अटार्नी जनरल बने।
1927 में उनका जन्म तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ था।
1958 में उन्होंने वकालत शुरू की। 1976 में तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल रहे।
2003 में पद्म भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे संजन किशन कॉल ने उन्हें इंडियन बार का पितामह बताया था।
दिलचस्प बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हो रही थी उस समय चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूछा था कि क्या वो बैठकर दलील देना पसंद करेंगे। इस सवाल के जवाब में पाराशरण ने कहा कि वो कोर्ट का शुक्रिया करते हैं। लेकिन बार की परंपरा के अनुसार वो खड़े होकर ही बहस करेंगे।
इन दलीलों से चर्चा में आए पाराशरण
जस्टिस अशोक भूषण ने उनसे पूछा था कि जन्म स्थान को कैसे एक व्यक्ति के तौर पर मान्यता दी जा सकती है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने ऋग्वेद का उदाहरण देते हुए कहा था कि सूर्य को भगवान माना जाता है लेकिन उनकी मूर्ति नहीं है, लेकिन देवता होने के नाते उन पर कानून लागू होते हैं।
मस्जिदों के संबंध में एक सवाल के जवाब में पाराशरण ने कहा कि अयोध्या में 55 से लेकर 60 मस्जिदें हैं, मुस्लिम समाज के लोग किसी दूसरी मस्जिद में नमाज अता कर सकते हैं। जिस विवाद या जगह की बात की जा रही है वो राम का जन्मस्थान है और उसे नहीं बदला जा सकता है।