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क्या है अयोध्या केस जानें यहां, लंबे समय तक चली है सुनवाई

Updated Nov 09, 2019 | 10:48 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

क्या है अयोध्या केस: अयोध्या में बाबर द्वारा जिस स्थल पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया, हिंदुओं का मानना था कि ये भगवान राम का जन्मस्थल है। अयोध्या विवाद सालों से चला रहा है। इसका इतिहास काफी लंबा है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
What is Ayodhya case

What is Ayodhya case (क्या है अयोध्या केस): अयोध्या विवाद की नींव साल 1528 में रखी गई, जब यहां मुगल शासक बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। हिंदुओं की तरफ से कहा गया कि मस्जिद उस स्थल पर बनाई गई, जो राम का जन्मस्थान था। हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव के कारणों में से ये एक है। इसे लेकर कई बार दंगे भी हुए। आजादी के बाद भी ये विवाद जारी रहा और गहरा गया। 1949 में यहां मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं, जिसे लेकर भी तनाव बढ़ा। फिर 1992 हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिससे देशभर में दंगे भड़क उठे, जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।

1885 में पहली बार कोर्ट पहुंचा मामला

1813 में हिंदुओं ने विवादित जमीन पर मंदिर का दावा किया। 1853 में मंदिर-मस्जिद को लेकर यहां पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी। भीतर मुसलमानों को और बाहर हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी। 1885 में पहली बार ये मामला कोर्ट पहुंचा। महंत रघुबर दास ने मंदिर बनाने के अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका डाली। हालांकि फैजाबाद जिला अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया। 1949 में भी मूर्ति मिलने के बाद दोनों पक्ष अदालत पहुंचे।

इसके बाद समय-समय पर अदालतों में इस मामले में सुनवाई हुई। कई बार मंदिर निर्माण और पूजा करने की अनुमति मांगी गई। 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को पूजा करने के लिए मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया। इसके बाद 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर के निर्माण के लिए नींव रख दी। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रहेगी और किसी को भी शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का आया फैसला 

इस मामले में 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की 3 जजों की पीठ ने फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को रामलला, निर्मोडी अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर-बराबर बांट दिया।

इस फैसले से तीनों पक्ष सहमत नहीं हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 2011 में सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

2003 में हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई भी की। बाबरी मस्जिद ढहाने जाने के बाद मामले को लेकर लिब्रहान आयोग भी बनाया गया। 2002 फरवरी में जिस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे, उसे जला दिया गया, जिसमें 58 लोग मर गए। इसके बाद गुजरात दंगे भड़के।

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