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जाधव केस में पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय फजीहत,  ICJ प्रेसीडेंट ने कहा- वियना संधि का हुआ उल्लंघन

Updated Oct 31, 2019 | 13:09 IST

ICJ on Kulbhushan Jadhav case : आईसीजे के प्रेसीडेंट अब्दुलकवी अहमद युसूफ ने यूएनजीए को बताया है कि जाधव केस में पाकिस्तान ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कुलभूषण जाधव केस में पाकिस्तान को फिर हुई अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती।
मुख्य बातें
  • आईसीजे प्रेसीडेंट ने यूएनजीए को बताया कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया
  • भारतीय राजनयिक के साथ जाधव की मुलाकात वियना संधि के अनुरूप न होने की बात कही
  • आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर लगाई है रोक, उन्हें कॉन्सुलर मदद देने का आदेश दिया है

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) से पाकिस्तान को एक बार फिर झटका लगा है। आईसीजे के प्रेसीडेंट अब्दुलकवी अहमद युसूफ ने जाधव केस में अपने फैसले से संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को अवगत कराया है। उन्होंने यूएनजीए को बताया है कि जाधव केस में पाकिस्तान ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है और जाधव को उनके कानूनी उपचारों से वंचित रखा। युसूफ ने बताया है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण के साथ भारतीय राजनयिकों की मुलाकात वियना संधि के अनुरूप नहीं होने दी है। 

गत सितंबर में भारतीय राजनयिक की मुलाकात जाधव  के साथ हुई लेकिन इस मुलाकात के समय पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के लोग वहां मौजूद थे। आईसीजे ने वियना संधि के अनुरूप जाधव को कॉन्सुलर मदद नहीं देने पर पाकिस्तान की कड़े शब्दों में आलोचना की है। आईसीजे ने कहा है कि पाकिस्तान ने जो वादा किया उसे पूरा नहीं किया है। बता दें कि भारत ने कम से कम 20 बार जाधव को कॉन्सुलर पहुंच देने की मांग की लेकिन पाकिस्तान ने हर बार भारत के अनुरोध को ठुकरा दिया। इसके बाद भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया। जाधव केस की सुनवाई पूरी होने के बाद आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाते हुए वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप उन्हें कॉन्सुलर मदद देने का आदेश सुनाया।


आईसीजे के आदेश के बाद पाकिस्तान शर्तों के साथ जाधव को कॉन्सुलर मदद देने के लिए तैयार हुआ लेकिन भारत ने इसका विरोध किया। बाद में पाकिस्तान बिना शर्त जाधव को कॉन्सुलर मदद देने पर राजी हुआ। गत 2 सितंबर को पाकिस्तान में किसी अज्ञात समय पर भारतीय डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलुवालिया ने जाधव की मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 2.30 घंटे तक चली लेकिन इस मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी नागरिक और सुरक्षाबल के लोग मौजूद थे। 


पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में जाधव को तीन मार्च 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी पर भारत ने सवाल उठाए। भारत का कहना है कि नौसेना के अधिकारी रहे जाधव को ईरान से अगवा कर पाकिस्तान लाया गया और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने देश में जासूसी करने एवं आतंकवाद फैलाने के आरोप में अप्रैल 2017 में जाधव को फांसी की सजा सुनाई। मई 2017 में भारत ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ आईसीजे में अपील दायर की। सुनवाई पूरी करने के बाद आईसीजे 15-1 से अपना फैसला सुनाया। जाधव केस में आईसीजे में भारत की 15-1 से जीत हुई।

गत जुलाई के अपने फैसले में आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान को आदेश दिया कि वह फांसी की सजा पर दोबारा विचार करे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत की दलीलों को सही ठहराते हुए जाधव को वियना संधि के नियमों के तहत कॉन्सुलर मदद देने का आदेश भी दिया।

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