नई दिल्ली : आज मजदूर दिवस (Labour Day) है। हर साल 1 मई को यह खास दिन दुनियाभर में करोड़ों कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है, जो हमें वर्षों पहले अपने हक की आवाज उठाने वाले उनके संघर्षों की भी याद दिलाता है। ये समाज का वह तबका है, जो सदियों से अपने खून पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा ही है कि आज दुनिया का हर क्षेत्र विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है, लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि यह तबका समाज में हमेशा से उपेक्षित रहा है।
लॉकडाउन के बीच मजदूर
आज जब दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग छिड़ी है, तब एक बार फिर यह साबित हो गया है कि समाज का यह तबका, जिससे पूरी दुनिया में चकाचौंध है, वह खुद किस तरह हाशिये पर है। संयोग से इस बार मजदूर दिवस ऐसे समय में आया है, जब दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर कोहराम मचा है और सोशल डिस्टेंसिंग को बकरार रखने के लिए कई देशों में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है, जहां 25 मार्च से ही देशव्यापी लॉकडाउन जारी है।
लाखों मजदूर हुए बेरोजगार
कोरोना के खिलाफ जंग में जारी लॉकडाउन ने सबसे अधिक उन मेहनतकश मजदूरों, कामगारों को ही प्रभावित किया है, जो दिन-रात काम कर अपने परिवार का पेट भरते हैं और देश व दुनिया के विकास में योगदान देते हैं। आज लॉकडाउन की वजह से सभी काम-धंधे बंद हैं और वे बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या लाखों में हैं, जिन्हें अभी कहीं काम नहीं मिल रहा है। इनमें उन परदेसियों की संख्या 15 लाख के आसपास बताई जा रही है, जो काम की तलाश में दिल्ली, बंबई गए और वहीं के होकर रह गए। काम के अभाव में अब जब वे लौटना चाह रहे हैं तो उन्हें रास्ता नजर नहीं आ रहा।
लॉकडाउन में मजदूरों की घर वापसी
प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों को देखते हुए हालांकि सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों को उनके गृह राज्य तक यात्रा की अनुमति दे दी है और इसके लिए जगह-जगह बसों के इंतजाम भी किए जा रहे हैं, लेकिन कितने लोगों को यह मौका हासिल हो पाएगा और वे सुरक्षित अपने घर लौट सकेंगे, इस पर संशय अब भी बरकरार है। इन सबसे इतर, दिल्ली, मुंबई, सूरत में पिछले दिनों जिस तरह मजदूरों की भीड़ बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर जमा हुई, वह उनकी हताशा, निराश को जाहिर करने के लिए पर्याप्त है, जहां उन्हें संकट की इस घड़ी में अपना कोई नजर नहीं आ रहा।
मेहनतकशों को सैल्यूट
देश के विभिन्न हिस्सों से अपने घर का सफर तय करने के लिए इन मजदूरों ने सैकड़ों मीलों का सफर पैदल तय किया, जो उनकी मजबूरी के साथ-साथ विकट परिस्थितियों में भी उनके जोश, जुनून व जज्बे को भी दर्शाता है। आज मजदूर दिवस पर मेहनतकश लोगों के उसी जोश, जुनून व जज्बे को हम सैल्यूट कर रहे हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमें धैर्य नहीं खोने की सीख देता है। इस लॉकडाउन के बीच उम्मीद है जल्द ही उनकी मुश्किलों का अंत होगा और मेहनत करने वालों की जिंदगी में एक नए सवेरे की शुरुआत हो सकेगी।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)