नई दिल्ली : पंजाब के लुधियाना कोर्ट में 23 दिसंबर को हुए ब्लास्ट की जांच को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम जल्द ही जर्मनी का दौरा करेगी। वहां प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (SFJ) के सदस्य जसविंदर सिंह मुल्तानी से पूछताछ की जाएगी, जिसका हाथ लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट मामले में होने की जानकारी सामने आ रही है। मुल्तानी SFJ का सक्रिय सदस्य है, जिसे भारतीय आशंकाओं के मद्देजनर जर्मन पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है।
लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट के सिलसिले में NIA ने गुरुवार को कुछ 'खालिस्तानी तत्वों' और SFJ के सदस्य मुल्तानी के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसके बाद अब उससे पूछताछ के लिए NIA की एक टीम उससे पूछताछ के लिए जर्मनी जाएगी। जांच एजेंसी मुल्तानी के प्रत्यर्पण की कोशिशों में भी लगी है और इसके लिए कूटनीतिक स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। लुधियाना ब्लास्ट केस में पुलिस ने पहले ही खालिस्तानी आतंकियों की साजिश का जिक्र किया था।
जर्मनी जाएगी NIA की टीम
अब NIA की एक टीम इस मामले में पूछताछ के लिए जर्मनी का दौरा करेगी। एक अधिकारी के मुताबिक, खालिस्तान समर्थक पंजाब में युवाओं को भ्रमित करने और उन्हें भटकाने तथा उनके ब्रेनवाश की साजिश कर रहे हैं। इसके लिए वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसी गतिविधियों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। उनका मकसद राज्य में शांति प्रक्रिया को भंग करना है। मुल्तानी भी इसी साजिश का हिस्सा है।
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उन्होंने बताया कि मुल्तानी को जर्मन पुलिस ने हिरासत में लिया है। वह पहले से ही जर्मन पुलिस के रडार पर था। जर्मन पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है। NIA ने उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, जिसके बाद जांच एजेंसी की एक टीम उससे मामले में विस्तृत पूछताछ के लिए जर्मनी जाएगी। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी को इस मामले में मुल्तानी की संलिप्तता को लेकर बेहद पुख्ता सबूत मिले हैं। ऐसे साक्ष्य भी सामने आए हैं, जो इस बात का संकेत करते हैं कि ये 'तत्व' भारत में ऐसी और घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं।
ब्लास्ट में हुई थी एक शख्स की मौत
लुधियाना कोर्ट में ब्लास्ट 23 दिसंबर को हुआ था, जिसमें एक शख्य की जान गई थी। उसकी पहचान गगनदीप सिंह के तौर पर की गई, जो पंजाब पुलिस का ही पूर्व हेड कॉन्सटेबल था। उस दिन जब वह अदालत परिसर पहुंचा तो विस्फोटक उसके पास ही था। ड्रग्स केस में उसे दो साल की जेल भी हुई थी और 2019 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
बताया जाता है कि जेल में रहने के दौरान उसका संपर्क ड्रग माफियाओं, आतंकियों से हुआ, जो जेल से निकलने के बाद भी बना रहा। पंजाब पुलिस के मुताबिक, इस धमाके का मकसद राज्य में चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना था और गगनदीप के हैंडलर्स विदेशों में हो सकते हैं, जो लगातार उसके संपर्क में बने हुए थे। पुलिस ने इस मामले में खालिस्तान समर्थकों के साथ-साथ पाकिस्तान का हाथ होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया था।