- मालाबार सैन्य अभ्यास में शामिल हो रही हैं भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौसेनाएं
- साल 1992 में मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई थी, भारत और अमेरिका की नौसेना करती थीं अभ्यास
- बाद में इस युद्धाभ्यास से जापान जुड़ा, पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने इस सैन्य अभ्यास से जुड़ने की घोषणा की
नई दिल्ली : बंगाल की खाड़ी में आज से तीन दिनों तक चलने वाले मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत हो गई। इस युद्धाभ्यास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया शरीक हो रहा है। इससे पहले मालाबार युद्धाभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान की नौसेना शामिल होती रही हैं। विशाखापत्तनम से शुरू हो रहे इस अभ्यास के पहले चरण (3 से 6 नवंबर) में चारों देशों के युद्धपोत एवं विध्वंसक हिस्सा ले रहे हैं। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के साथ अमेरिकी यूएसएस जॉन एस मैक्केन (गाइडेड मिसाइल विध्वंसक), ऑस्ट्रेलिया का युद्धपोत एचएमएएस बालार्ट (लॉन्ग रेंज फ्रिगेट) और जापान का जेएस ओनमी (विध्वंसक) सागर की लहरों पर अपनी ताकत एवं पराक्रम का प्रदर्शन करेंगे। चीन को यह नौसैनिक युद्धाभ्यास रास नहीं आया है। उसने गीदड़भभकी दी है कि इससे क्षेत्र में तनाव पैदा होगा।
चीन के साथ भारत तनाव के बीच हो रहा है यह सैन्य अभ्यास
बंगाल की खाड़ी में चारों देशों का यह युद्धाभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ भारत का तनाव चल रहा है। यह अभ्यास चार देशों के रणनीतिक हितों के बढ़ते संबंध को दर्शाता है। अब तक इस अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया शामिल नहीं था लेकिन पिछले महीने भारत ने इस युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया को न्योता भेजा जिसे कैनबरा ने स्वीकार कर लिया। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ किसी तरह के विवाद या गतिरोध से बचना चाहता था लेकिन हाल के समय में कोरोना वायरस सहित मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दों पर ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच एक दूरी सामने आई है जिसके बाद उसने भी मालाबार युद्धाभ्यास का हिस्सा बनने का फैसला किया।
चीन के दबदबे को जवाब देने का प्रयास
सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव एवं दबदबे को कम करने के लिए चारों देशों की नौसेनाओं का एक साथ आना अहम है। इससे चीन के आक्रामक रवैये एवं सामरिक एवं रणनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिशों को झटका लगेगा। पिछले महीने दिल्ली में हुई '2+2 वार्ता' के बाद अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्वाभाविक सामुद्रिक नौवहन व्यवस्था के पक्ष में है। भारत की भी यही राय है। मालाबाद युद्धाभ्यास में शामिल होने वाले ये सभी चारों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं।
1992 में शुरू हुआ था मालाबार युद्धाभ्यास
मालाबार सैन्य अभ्यास की शुरुआत 1992 में हुई थी। इस अभ्यास में पहले भारत और अमेरिका की नौसेना शामिल होती थीं लेकिन साल 2015 में इस युद्धाभ्यास से जापान भी जुड़ गया। गत 20 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया ने भी इस अभ्यास से जुड़ने की घोषणा कर दी। साल 2007 के युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया की नौसेना शामिल हुई थी। इस सैन्य अभ्यास में चारों देशों की नौसेनाएं युद्ध के समय रणनीतिक कौशल, समन्वय एवं पराक्रम को परखेंगी।